asd डीईओ द्वारा कैंट में स्थित स्कूलों को पीपीई के नोटिस पर बवाल क्यों? वाजपेयी जी स्कूल संचालक जो अत्याचार करते हैं उस पर भी नजर डालिए क्योंकि यह मिशनरी काम नहीं व्यापार कर माल कमा रहे हैं – tazzakhabar.com
Date: 19/04/2025, Time:

डीईओ द्वारा कैंट में स्थित स्कूलों को पीपीई के नोटिस पर बवाल क्यों? वाजपेयी जी स्कूल संचालक जो अत्याचार करते हैं उस पर भी नजर डालिए क्योंकि यह मिशनरी काम नहीं व्यापार कर माल कमा रहे हैं

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रक्षा संपदा अधिकारी डीओ विनीत कुमार द्वारा कैंट में स्थित स्कूलों को सेक्शन 12 पीपीई के दिए गए नोटिस को लेकर बवाल मचा हुआ है। सवाल उठता है कि सीबीएसई आईसीएसई और यूपी बोर्ड के स्कूलों की प्रबंध कमेटी के पदाधिकारी व प्रधानाचार्य व कुछ शिक्षक जब दाखिलों के समय अभिभावक और बच्चों का अनकहे रूप में विभिन्न तरह से अपमान करते हैं और विभिन्न नामों पर फीस ली जाती है और ऐसी किताबें खरीदवाई जाती है जो कई सौ रूपये की आती है और पढ़ी नहीं जाती तब इनकी कारगुजारियों से कुछ लोग देश की अन्य 62 छावनियों में सेक्शन 12 पीपीई के नोटिस ना दिए जाने का मुददा उठाकर डीओ को जबरदस्ती की बातों में उलझाने और रक्षामंत्री तक यह मामला ले जाने की बात कहकर मनोबल कमजोर करने में लगे हैं मगर जब यह स्कूल संचालक अपने छात्रों व अभिभावकों का उत्पीड़न करते हैं तब कहां चले जाते हैं तथा इनकी लेखनी और वाकपटुता को क्या हो जाता है। बताया जा रहा है कि इन स्कूलों के संचालकों को सत्ताधारी दल का नेता या समर्थक की सरपरस्ती बताकर यह दर्शाने की कोशिश हो रही है कि इन्हें जबरदस्ती परेशान किया जा रहा है। मेरा मानना है कि भाजपा के नेताओं को जनहित में सेक्शन 12 पीपीई के जो नोटिस दिए गए हैं उनके संदर्भ में दोषी स्कूलों के खिलाफ पीपीएफ की कार्रवाई किए जाने के आड़े नहीं आनी चाहिए। क्योंकि जिन स्कूलों को नोटिस दिए गए हैं उनमें दीवान, ऋषभ एकाडेमी आदि अवैध रूप से बने हैं और इनके सहित अन्य सभी स्कूलों के ज्यादातर संचालकों द्वारा अभिभावकों और बच्चों को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती ऐसा कुछ अभिभावकों का कहना है जिससे मैं ही नहीं सभी सहमत होंगे। पूर्व में स्कूलों द्वारा तय दुकानों से किताबें, जूते और ड्रेस खरीदने को लेकर अभिभावकों द्वारा हर साल विरोध किया जाता है तब पीपीई एक्ट के नोटिस को लेकर इनके समर्थन में उतरे लोग कहां चले जाते हैं। मेरा मानना है कि राज्यसभा सांसद और भाजपा के अन्य नेता उनसे पूछे कि
1 एडमिशन के दौरान आने वाले अभिभावकों केे बैठने के आपके यहां क्या उपाय है और सड़क पर लंबी लाइने गर्मी में क्यों लगवाई जाती है।
2 अभिभावक अपनी मर्जी से किसी भी दुकान से किताब कॉपी डेªस और जूते क्येां नहीं खरीद सकता।
3 जो कई सौ रूपये की किताब खरीदवाई जाती है उनका औचित्य क्या है।
4 जब एक बार फीस ले ली तो विभिन्न नामों पर क्यों ली जाती है।
5 यह तय होने के बाद भी कि शिक्षक टयूशन नहीं पढ़ाएंगे उसके बावजूद स्कूल के शिक्षक बच्चों को टयूशन पढ़ाते है।
6 कई अभिभावकों का कहना है कि जो बच्चे टयूशन नहीं पढ़ते उन्हें प्री एग्जाम में फेल कर दिया जाता है और वो पास भी हो जाए तो उन्हें अगली क्लास में आसानी से प्रवेश नहीं दिया जाता या मनपसंद विषय देने से इनकार कर दिया जाता है। ऐसे कितने मामले सालभर सुने जाते हैं इसलिए इनका समर्थन करने वाले जनप्रतिनिधि जनता के हित में इनसे इस बारे में भी जवाब मांगे। वो इनका समर्थन करें मुझे इसका विरोध नहीं है लेकिन जब यह जनता का उत्पीड़न करते हैं तब कोई सामने क्यों नहीं आता ऐसा क्यों होता है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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