उत्तर प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों तथा बेसिक स्कूलों में अवकाश साल भर में कितने होंगे घोषित किया गया है। जो खबरें इससे संबंध पढ़ने को मिल रही हैं उससे लगता है कि यह अवकाश कुछ ठीक नहीं है क्योंकि माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में सिर्फ विवाहित शिक्षिकाओं को अवकाश मिलेगा जबकि बेसिक स्कूलों में सभी शिक्षकों को इस अवकाश की सुविधा मिलेगी। सवाल उठता है कि शिक्षिकाएं चाहे माध्यमिक की हो या बेसिक की करवाचौथ सभी मनाती हैं तो अवकाश माध्यमिक में ही क्यों। सरकार या तो दोनों जगह अवकाश करे या नहीं। खबर के अनुसार इस साल स्कूल में ग्रीष्म एवं शीतकालीन अवकाश को छोड़कर 30 दिन एवं सभी मिलाकर 189 दिन की छुटिटयां घोषित की गई है। बोर्ड परीक्षा के 12 दिन जोड़ दिए जाएं तो पूरे साल में 234 कार्य दिवस होंगे। एक तरफ सरकार बच्चों को साक्षर बनाने पर जोर दे रही है और दूसरी ओर हर साल छुटिटयों की संख्या बढ़ाती जा रही है। नियम कानून एक हैं तो फिर प्राइवेट स्कूलों में भी छुटिटयां इसी प्रकार घोषित होनी चाहिए क्योंकि छुटिटयों के इस फर्क से सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में कहीं ना कहीं शिक्षा प्राप्ति में फर्क नजर आता है। जिसे सही नहीं कह सकते।
इस संबंध में प्राप्त एक खबर के अनुसार राजकीय व अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में बुद्ध पूर्णिमा का अवकाश नए वर्ष से बढ़ाया गया है। इन स्कूलों में 12 मई को बुद्ध पूर्णिमा का अवकाश रहेगा। वर्ष 2025 की छुट्टियों का कैलेंडर सोमवार को जारी कर दिया गया।
माध्यमिक स्कूलों में 21 मई से 30 जून तक ग्रीष्मकालीन अवकाश रहेगा। अवकाश, ग्रीष्मावकाश और रविवार की कुल 119 छुटिट्यां होंगी। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की 24 फरवरी से शुरू हो रहीं परीक्षाएं कुल 12 कार्य दिवस में होंगी। वहीं 234 दिन पढ़ाई होगी।
जारी किया गया पूरे साल का कैलेंडर
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव की ओर से एक जनवरी 2025 से 31 दिसंबर 2025 तक के अवकाश का कैलेंडर सोमवार को जारी कर दिया गया। पहले की ही तरह विशेष परिस्थितियों में स्थानीय आवश्यकता के अनुसार प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक के विवेकाधीन तीन दिन का अवकाश रहेगा।
जिसकी सूचना विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करने के साथ ही जिला विद्यालय निरीक्षक को देनी होगी। महिला शिक्षकों को करवा चौथ का अवकाश दिया जाएगा। ऐसे ही क्षेत्र विशेष में हरि तालिका तीज अथवा हरियाली तीज, संकठा चतुर्थी, हलषष्ठी अथवा ललई छठ, जीउतिया व्रत अथवा अहोई अष्टमी का व्रत रखने वाली महिला शिक्षकों को प्रधानाचार्य उनके प्रार्थना पत्र के आधार पर इनमें से कोई दो अवकाश देंगे।
राष्ट्रीय पर्वों पर विद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। महापुरुषों के साथ-साथ स्वाधीनता आंदोलन के क्रांतिकारियों एवं प्रसिद्ध समाज सुधारकों के जन्म दिवस पर विद्यालयों में कम से कम एक घंटे गोष्ठी व सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। रविवार या किसी अन्य अवकाश होने की स्थिति में उसके अगले दिन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
मैं छुटिटयां देने का विरोधी तो नहीं हूं लेकिन मुझे लगता है कि दोनों में ही एक समान अवकाश घोषित किए जाएं। इन्हीं दिनों की छुटिटयां प्राइवेट स्कूलों में भी घोषित कराई जाए जिससे दोनों बोर्ड में पढ़ने वाले बच्चों का शिक्षा का स्तर बना रहे। अच्छा तो यह है कि सरकार को रविवार और कुछ अन्य त्योहारों व जयंती के अतिरिक्त बाकी छुटिटयां खत्म करनी चाहिए क्योंकि सरकारी हो या निजी नौकरी मेहनत सबको करनी पड़ती है इसलिए छुटिटयां भी सरकारी व प्राइवेट में तालमेल बनाकर की जाए क्योंकि घोषित छुटिटयों से शिक्षकों की सोच में तनाव उत्पन्न होने की संभावना से उत्पन्न नहीं किया जा सकता।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
महिलाओं के करवाचौथ के अवकाश में दोहरी नीति क्यों
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