asd सांसदों के साथ तीसरी लाइन में गठबंधन के नेता जयंत चौधरी को क्यों बैठना पड़ा, मंच पर 14 कुर्सियां भी पड़ सकती थी

सांसदों के साथ तीसरी लाइन में गठबंधन के नेता जयंत चौधरी को क्यों बैठना पड़ा, मंच पर 14 कुर्सियां भी पड़ सकती थी

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लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व पीएम स्व. चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने और किसानों की मेहनत की प्रशंसा कर उनका गुणगान करने वाले पीएम मोदी को संसदीय दल का नेता चुने जाने वाली एनडीए की संसदीय दल की बैठक में जानबूझकर ऐसे समय में जब गठबंधन सरकार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनने जा रही है रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को सांसदों के बीच तीसरी लाइन में बैठाने और बाकी सहयोगी दलों के जतिन राम मांझी चिराग पासवान अनुप्रिया पटेेल अजीत पवार एकनाथ शिंदे पवन कल्याण आदि को मंच पर बैठाने से जो रालोद के कार्यकर्ता और समर्थक अपने आप को एक अपमानित सा महसूस कर रहे हैं। वो मुझे लगता है किसी भी रूप में पीएम मोदी की जानकारी में तो ऐसा नहीं हुआ होगा। क्योंकि वैसे भी ऐसे माहौल में कोई भी समझदार नेता अपने सहयोगियों का अपमान नहीं करेगा। लेकिन भाजपा से मिलकर बिजनौर और बागपत लोकसभा सीट जीतने और खुद राज्यसभा सदस्य होने के बाद भी रालोद मुखिया को तीसरी लाइन में बैठाना सार्वजनिक रूप से उचित नहीं कह सकते। वैसे तो सभी सांसद एक समान हैं लेकिन वो अपने दल के नेता भी हैं और उनके समकक्ष सहयोगी दलों के नेताओं को मंच पर जगह भी दी गई। जहां तक यह कहना कि इस बारे में जयंत चौधरी से चर्चा कर ली गई थी और उन्होंने सांसदों के बीच बैठने की बात कही थी लेकिन आयोजकों को प्रोटोकॉल का ध्यान तो रखना ही चाहिए था क्योंकि यह कहना कि मंच पर 13 कुर्सी के लिए ही जगह बन पा रही थी कुछ पच नहीं रहा है। क्योंकि सीटें बढ़ाई भी जा सकती थी। और थोड़ा मिलाकर लगाई जा सकती थी। मगर जयंत चौधरी ने जहां तक इसे गंभीरता से ना लेते हुए गठबंधन को मजबूत करने की सोच पर कायम रहे हैं लेकिन मेरा मानना है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को इस बारे में संज्ञान जरूर लेना चाहिए क्योंकि इससे गठबंधन के नेता में मायूसी पैदा होने या अपने आप की अवहेलना महसूस हो सकती है और वो परिस्थिति सही नहीं कही जा सकती। क्योंकि पीएम मोदी के समक्ष तो अन्य बहुत मुददे हैं इसलिए उनका ध्यान इस ओर ना जाए लेकिन गठबंधन की एकता के लिए जिन लोगों को लगाया गया है उन्हें इस बात का ध्यान जरूर रखना होगा। जहां तक नौ जून को होने वाले मंत्रिमंडल के गठन में रालोद मुखिया को किस स्थान पर रखा जाता है सही स्थिति को उसके बाद ही स्पष्ट होगी। क्योंकि किसान या उसके नेता जिसका मोदी हमेशा सम्मान करते रहे हैं अपमान करने की अनुमति किसी को नहीं है मेहनतकश अन्नदाता जिसके साथ खड़ा होता है मजबूती से जमा रहता है। अगर उसकी अवहेलना ना की जाए तो ही अच्छा है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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