बचपन में एक कहावत अजब तेरी दुनिया अजब तेरा खेल छुछंदर के सिर में चमेली का तेल काफी सुनने को मिलती थी लेकिन तब उसका मतलब समझ में नहीं आता था लेकिन अब यह समझ आने लगा है कि अमीर पिए तो शौक गरीब पिए तो ऐब जैसी कहावत उन लोगों पर सही उतरती है जो सिर से पैर तक भ्रष्टाचार गबन या गलत कार्यों में शािमल रहते हैं क्योंकि शक्तिमान और जनधन के मालिक होने के चलते यह ईमानदारी का मुखौटा ओढ़ने में सबसे आगे रहते हैं और इन्हें महिमामंडित करने में चाटुकारों की कोई कमी नहीं होती इसलिए चमेली का तेल वाली कहावत इन पर सही उतरती है।
आज अनेक आरोपों से घिरे जिनके खिलाफ थाने में एफआईआर भी है और गिरफतारी से बचने के लिए मारे मारे घूमते हैं वो सब सामने वाले में ईमानदारी ढूढने के साथ ही आरोप लगा रहे हैं कि इनके खिलाफ तो कई घपलों की जांच चल रही है और इनकी वीडियो चलती है। अब कोई पूछे कि वीडियो तो आजकल बहुत लोगों की चलती है और खबरें भी ऐसी छपती है कि दो चार साल जेल में काटने पड़ सकते हैं। लेकिन कई आरोपों से घिरे लोग सामने वाले को आरोप विहीन देखना चाहते हैं। इसमें कोई बुराई भी नहीं है लेकिन इस नाम पर कुछ दिग्गजों द्वारा किसी को परेशान किया जाना ठीक नहीं कह सकते।
कुछ साल पहले लैला मजनू फिल्म में जब मजनू को लोग पत्थर मारते हैं तो लैला गाती है कि कोई पत्थर ना मारे मेरे दीवाने को हुस्न हाजिर है हर पत्थर खाने को अगर प्रदेश की एक शिक्षा संस्थान के प्रकरण को इससे जोड़कर देखा जाए तो बिल्कुल ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है।
मेरा मानना है कि देश में ऐसे अनेको प्रकरण है कि जिनमें अपराधों से घिरे व्यक्ति ईमानदारों से ज्यादा पाक साफ दर्शाते हैं और लोग उनकी मिसाल देकर उनका महिमामंडन भी करते हैं। जहां इतनी बड़ी उपलब्धियां हर आदमी की हो सकती है उसमें किसी एक व्यक्ति को यह कहकर कि इस पर बहुत आरोप है गबन किया है कहकर अन्याय किया जाना कहां तक सही है। मैं किसी संस्था का हवाला नहीं दे रहा है लेकिन यह जरूर चाहता हूं कि जनता कुछ तथाकथित ईमानदारों द्वारा एक व्यक्ति का किया जाने वाला उत्पीड़न आंख मींचकर ना देखे। आगे बढ़कर पात्र आदमी को न्याय मिलना ही चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो जिस प्रकार से कुछ कुत्तों के झूुंड में बाघ घिरकर हताश होने लगता है वैसा ही समाज में कुछ आरोपियों के झुुंड में घिरकर कोई ईमानदार या आरोप लगाने वालों से ज्यादा ईमानदार आदमी हताशा का शिकार ना हो इसका ध्यान जागरूक नागरिकों को हर हाल में रखना होगा। कुछ लोग बिना यह सोचें कि हम किसी पर अंगुली उठा रहे हैं तो तीन हमारी ओर इशारा कर रही है तो खुद सारे कुकर्मों में शामिल होने और दूसरों को पाक साफ होने का संदेश देेने वालों को यह समझना चाहिए कि कौन कब क्या कर बैठे कोई नहीं समझ सकता है। दुनिया का हर छठा व्यक्ति प्रयास करने पर अमेरिका के राष्ट्रपति और भारत के पीएम से मुलाकात कर सकता है। सोशल मीडिया के चलते कोैन कब पापों के गर्त में दबे जो सामने वाले से ईमानदारी का तमगा मांग रहे हो वो मुंह छिपाने के लिए मजबूर ना हो अगर सरकार चाहती है कि कुछ हो तो कमी निकालने की बजाय आदेशों का पालन करें ना कि ईमानदारी का प्रमाण पत्र मांगे। मगर यह लोग यह भूलकर कि वर्तमान समय में ऐसा संभव नहीं है। और घोषित आर्थिक अपराध और पापियों में ईमानदारी का बूत ढूंढ रहे है जो शायद आसानी से मिलना संभव नहीं है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)