Date: 21/11/2024, Time:

पूजा खेडकर के विरूद्ध ही कार्रवाई क्यों, यूपीएससी के दोषी अफसरों को भी किया जाए समय से पहले सेवानिवृत

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सरकारी सेवा या समाजहित के मामले में धोखाधड़ी करने वालों का ना तो मैं समर्थन करता हूं और ना ही उनकी वकालत। लालबत्ती लगाकर घूमने और अपने पद का रौब दिखाने के चलते चर्चाओं में आई आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर का यूपीएससी ने चयन रद कर दिया। अब भविष्य में वह किसी भी परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगी। बताते चलें कि आयोग ने पूजा मनोरमा दलीप खेडकर को अपनी पहचान छिपाकर परीक्षा देने तय संख्या से ज्यादा परीक्षा में बैठने पर कारण बताओ नोटिस दिया था। यूपीएससी ने उनके रिकॉर्ड की गहन जांच कर उन्हें यूपीएससी के प्रावधान के उल्लंघन का दोषी पाया गया। आयोग की सफाई है कि बीते 15 साल में खेडकर का इकलौता मामला है जिसमें वह पता नहीं लगा पाया कि अभ्यर्थी ने तय सीमा से ज्यादा बार कैसे परीक्षा दी। इससे जुड़े अधिकारियों का कहना है कि यूपीएससी मानक प्रक्रिया को और मजबूत कर रहा है ताकि भविष्य में ऐसी गडबड़ ना हो। विभाग को जो कार्रवाई करनी है वो तो होनी ही चाहिए लेकिन ग्रामीण कहावत ताली दोनों हाथ से बजती है अगर किसी प्रक्रिया में कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो इसकी छानबीन के लिए विभागीय अधिकारी भी कम दोषी नहीं होते हैं। हमेशा कहा जाता है कि बच्चा जवान है। अभी इसका भविष्य बहुत पड़ा है। इसकी क्षमा होने योग्य गलतियों को माफ किया जाए और बाकी में जुर्माना लगाकर उसका भविष्य खराब होने से बचाया जाए। यहां तो पूजा खेडकर अभी युवा हैं। प्रशासनिक सेवा में शामिल तो हो ही रहीं थी। युवा मन के उत्साह और उमंग व ज्यादा आत्मविश्वास के चलते कुछ गलती कर बैठी जिसे उन्हें और उनके परिवार को सजा भी मिल रही है। मुझे लगता है कि पूजा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उसे एक मौका और दिया जाना जाना चाहिए। अगर सरकार विभाग या एकाडेमी ऐसा नहीं करती है तो जिस समय पूजा खेडकर ने एग्जाम और गलत जानकारी दी उस समय जो भी यूपीएससी के जिम्मेदार अधिकारी रहें हो उनकी भी सेवाएं समाप्त की जाएं। क्योंकि उनकी ही ऐसी गलतियों से और कितने ऐसे कार्य हुए होंगे तो फिर सजा अकेले पूजा खेडकर ही क्यों भुगते। क्योंकि आईएएस परीक्षा को पास करने लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में एक दोषी को सजा और दूसरे पर कार्रवाई ना होने को ठीक नहीं कह सकते। पूजा ने जो गलतियां की उसके लिए अफसर ही दोषी है। क्योंकि कहा जाता है कि बच्चे को पढ़ाने वाले प्रोफेसर ही दोषी होते हैं अगर वह सही पढ़ाई नहीं कर पा रहा। इस मामले में शिक्षकों को क्यों बख्शा जाए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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