केंद्र और प्रदेशों में सरकार किसी की भी हो प्रधानमंत्री और सीएम कोई भी हो लेकिन जब से होश संभाला और कुछ समझने के लायक हुआ तब से यह देखा है कि सरकार शासन प्रशासन के माध्यम से नागरिकों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत रहती है। अगर ध्यान से सोचें देखें तो वर्तमान सरकारों की घोषणाओं और चर्चाओं से पता चलता है कि नागरिकों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बजट के साथ निर्देश देने में पीछे नहीं है और बैठकें आयोजित कर जिम्मेदारों को यह भी बताया जाता है कि अगर काम में लापरवाही भ्रष्टाचार हुआ तो बख्शा नहीं जाएगा। यह भी सही है कि सरकार या शासन में बैठे लोग या पीएम व सीएम हर नागरिक के पास जाकर यह नहीं पूछ पाते है कि उन्हें कोई समस्या तो नहीं है। फिर ऐसा क्यो हो रहा है कि नागरिक सुविधा के लिए टैक्स और दाम अदा करने के बाद भी परेशान है।
इस बारे में जब सोचने की कोशिश की तो सामने आया कि एक तो विभाग कोई भी हो उसके हुक्मरान सरकार की भावना और योजनाओं के तहत काम करने में सफल दिखाई नहीं दे रहे हैं। यह बात सरकार और मंत्री भी जानते हैं। क्योंकि आए दिन यह निर्देश पढ़ने को मिलते हैं कि सरकारी अधिकारी अपना काम प्राथमिकता से करें लेकिन फिर भी आम आदमी से लेकर विधायक तक कुछ अफसरों के काम ना करने और बात ना करने की शिकायतें मंत्रियों से करते सुनाई देते हैं। इन पर अंकुश कैसे लगे तो यही कहा जा सकता है कि सत्ताधारी हो या विपक्षी जनप्रतिनिधि सरकार की मंशा को साकार करने के लिए आगे आएं और काम ना करने वाले अफसरों की कार्यप्रणाली से सीएम और पीएम को अवगत कराएं। वरना कहीं बिजली राशन ना मिलने की समस्या, टूटी सड़कें जलभराव सफाई का अभाव पथ प्रकाश के साथ ही अपराधों को रोकने के मामलें में प्रसारित होने वाले आंकड़ें तो यही कहा जा सकता है कि कहीं यह सरकार प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री को बदनाम करने की कोशिश नहीं है। क्योंकि सब जानते हैं कि जब काम और सामान के दाम दिए जा रहे हैं और उपलब्धता नहीं है तो यही दिखाई देता है कि उच्च स्तर पर काम नहीं हो पा रहा है। केंद्र प्रदेश की सरकार चला रही पार्टी दूसरी बार चुनाव जीतकर सरकार बनाने में सफल रही। जिससे यह स्पष्ट है कि मतदाता सत्ताधारी दल पीएम से नाराज नहीं है। उनकी शिकायत अधिकारियों की कार्य प्रणाली से है जिसे किया जाना वक्त की मांग है और सरकार पर असफलता का ठप्पा ना लग पाए इसके लिए जनप्रतिनिधियों को प्रयास करने की आवश्यकता है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सुविधाओं का अभाव पूरे दाम देेकर भी सामान ना मिलने के लिए जिम्मेदार कौन! झूठे आंकड़े पेश कर कुछ सरकारी बाबू सरकार को बदनाम करने की कोशिश तो नहीं कर रहे
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