asd भगवान राम प्रकट हुए तो थम गई थी सूर्य की गति, चंद्रमा को क्या मिला वरदान? – tazzakhabar.com
Date: 13/03/2025, Time:

भगवान राम प्रकट हुए तो थम गई थी सूर्य की गति, चंद्रमा को क्या मिला वरदान?

0

अयोध्या 22 जनवरी। चैत्र मास की रामनवमी तिथि, दोपहर के ठीक 12 बजे भगवान नारायण अपने चतुर्भुज रूप में अवध की पटरानी कौशल्या के गर्भ से प्रकट हुए. भगवान का सौंदर्य ऐसा था कि हजारों सूर्य न्यौछावर हो जाएं. इस सौंदर्य को देख आसमान में चमक रहे सूर्य देव की गति भी थम गई. अपने ही वंश में भगवान नारायण को प्रकट होते देख सूर्य देव आगे बढ़ना भूल गए. उनके घोड़े जड़ हो गए. ऐसा एक दो पल या एक दो घड़ी के लिए नहीं, महर्षि वाल्मिकी लिखते हैं कि ऐसे ही पूरा महीना निकल गया.

उधर, चंद्रमा भी भगवान के दर्शन के लिए बेताब थे, लेकिन दिक्कत यह थी कि सूर्य के ढलने पर ही चंद्रमा आ सकते थे. श्रीमदभागवत के मुताबिक महीने भर के इंतजार के बाद चंद्रमा से रहा नहीं गया तो वह नारायण भगवान के सामने गुहार लेकर पहुंच गए. उन्होंने सूर्य देव की शिकायत लगाई कि उनकी वजह से वह नारायण के नर रूप के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं. चंद्रमा की पीणा देखकर भगवान नारायण ने उन्हें ढांढस बंधाया. बताया कि इस बार सूर्य वंश में उनका अवतरण हुआ है, इसलिए सूर्य देव को मौका मिला है और वह इसका पूरा फायदा उठा रहे हैं.

इससे चंद्रमा को चिंता करने की जरूरत नहीं है. यहीं पर भगवान नारायण ने चंद्रमा को वरदान दिया कि युग परिवर्तन के बाद द्वापर में जब वह दोबारा पृथ्वी पर आएंगे तो चंद्र वंश में पैदा होंगे. भागवत महापुराण के मुताबिक चंद्रमा को दिए वरदान की वजह से ही द्वापर में भगवान नारायण यदु कुल में अवतरित हुए और चंद्र वंश की महिमा बढ़ाई. शास्त्रीय मान्यता है कि भगवान राम के जन्म के समय से ही रामनवमी के दिन ठीक 12 बजे सूर्य की गति थम जाती है. यही वजह है रामनवमी की दोपहरी थोड़ी लंबी होती है.
चूंकि उस समय मौसम परिवर्तन होता है, बावजूद इसके सूर्य की किरणे एक ही स्थान से पृथ्वी पर लंबवत पड़ने की वजह से तेज गर्मी का भी एहसास होता है. इस प्रसंग को महर्षि वाल्मिकी ने अपने रामायण में विस्तार से वर्णन किया है. वहीं महर्षि वेद व्यास ने श्रीमदभागवत की रचना करते हुए संक्षेप में बताया है.

Share.

Leave A Reply

sgmwin daftar slot gacor sgmwin sgmwin sgm234 sgm188 login sgm188 login sgm188 asia680 slot bet 200 asia680 asia680 sgm234 login sgm234 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin asia680 sgmwin sgmwin sgmwin asia680 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgm234 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin ASIA680 ASIA680