asd मामला कोई भी हो उपभोक्ता ही दोषी क्यों! नौकरों को बचाने जनता को जेल, पीएम सीएम को अवगत कराने का शुरू करे प्रयास

मामला कोई भी हो उपभोक्ता ही दोषी क्यों! नौकरों को बचाने जनता को जेल, पीएम सीएम को अवगत कराने का शुरू करे प्रयास

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कहते है कि कोई भी काम और ताली एक हाथ से नहीं बजती कहीं न कहीं हर कार्य में एक आध व्यक्ति का सहयोग चाहे वह सलाह के रूप में हो अथवा बराबर के सहयोगी होता जरूर है। मगर आजकल सरकार की नीति क्या है वो तो विद्वान ही जाने मगर सरकारी नौकरशाहों ने एक सोच बना ली लगती है कि कार्य और दोष किसी का भी क्यों न हो सजा दोनों में जो कमजोर होगा या आम आदमी उसी को मिलेगी। सरकारी बाबू चाहे वो बड़ा हो या छोटा कितना भी दोषी हो उसे या तो बिलकुल ही अलग कर दिया जाएगा घटना से अथवा जांच कर कार्रवाई की बात कहकर मौके पर छोड़ दिया जाएगा। मगर पब्लिक और आम आदमी चाहे उसका दोष बिलकुल ना के बराबर ही हो अथवा ना समझी या अनभिज्ञता में किया गया हो उसे ग्रामीण कहावत सूली पर चढ़ाने की कोशिश में सरकारी बाबू साहब कोई कसर नहीं छोड़ते।
इसके उदाहरण के रूप में हम खासकर यूपी को देख यहां कहीं भी कुछ भी सरकार के दृष्टिकोण से गलत होता नजर आया नहीं कि साधारण नागरिक को बिना किसी जांच पड़ताल के जेल भेजने और उस प्रकरण से संबंध सरकारी विभाग के अधिकारी को बचाने या कम से कम सजा दिलाने के प्रयास शुरू कर दिये जाते है।
वैसे तो ऐसे अनेक प्रकरण बिना ढूंढे ही जरा सा नजर घूमाने और प्रतिदिन मीडिया की खबरे पढ़ने सुनने से पता चल सकता है। जैसे कहीं भी बिजली की चोरी पकड़ी गई या समय से बिलों का भुगतान नहीं हुआ अथवा बिना मीटर के ही रोशनी की व्यवस्था कर लिये जाने की बात सामने आते ही उपभोगता को गिरफ्तार कर जेल भेजने या उस पर मोटा जुर्माना लगाने और समाज में उसे विलेन की स्थिति में प्रस्तुत करने के प्रयास सरकारी अधिकारियों द्वारा एकदम शुरू कर दिये जाते है। ऐसा ही नजारा शहर देहात और कस्बों में होने वाले अवैध निर्माणों और कटने वाली कच्ची कालोनियों तथा सरकारी जमीन घेरकर बेचने वालों के विरूद्ध संबंधित विभागों मेडा विकास प्राधिकरण आवास विकास आदि के अफसर करने लगते है कि जबकि सब जानते है कि बिना विभाग के अवैध निर्माण रोकने से संबंध कर्मचारी अधिकारियों के सहयोग से कहीं भी इनमें से कोई काम नहीं हो सकता। लेकिन जनता के आदमी के विरूद्ध तुरंत कार्रवाई शुरू हो जाती है मगर सबूत पाए जाने और दोषी होने का पुख्ता पता होने के बाद भी जांच के नाम पर उसे बचाने की हर संभव कोशिश विभाग के अपने आपको ईमानदार बताने वाले कुछ अधिकारी करने में नहीं चूकते। ऐसा ही हर मामले में होने की बात लगभग रोज ही सामने आ रही है। आतिशबाजी का जखीरा पकड़ा जाता है जिसके यहां मिलता है उसके खिलाफ कार्रवाई लेकिन क्षेत्र के थानेदार और पुलिस तथा फायर सर्विस के अधिकारियों को पूरी छूट दे दी जाती है। कहने का मतलब है कि हर मामले में हमारी व्यवस्था सिर्फ आम आदमी को दोषी मानते हुए कार्रवाई करते हुए अफसरों की कमियों को छिपाकर उन्हें बचा लेती है यहीं बढ़ते करप्शन रिश्वतखोरी और लापरवाही का मुख्य कारण कह सकते है। और सबसे बड़ी बात कुछ हुकुमरानों की ऐसी ही सोच के चलते देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा जो जनहित की योजनाऐं चलाई जा रही है अथवा काम किये जा रहे है वो सरकारी अधिकारियों की कार्यप्रणाली एवं लापरवाही की भेंट चढ़ते जा रहे है। हां इसमें सरकार और जनता का कितना ही नुकसान क्यों न हो संबंधित विभाग के अफसर और कर्मचारी के चेहरे की चमक और बैंक बैलेंस बढ़ाता ही जाता है।
अभी बीते दिनों यूपी के मेरठ के थाना नौचंदी के क्षेत्र गढ़ रोड़ स्थित हारमनी होटल में जुआ कैंसीनों चलते के साथ ही कई गलत काम होते पकड़े गये बताये गये। इस मामले में होटल मालिक सहित कुछ लोग गिरफ्तार हुए कुछ फरार बताये गये। लेकिन यह मौखिक चर्चा सामने आने के बाद भी कि थाने को इस काम से हर माह मोटी रकम मिलना तय था। के बावजूद संबंधित जिम्मेदार पुलिस अफसर और कर्मचारियों की गिरफ्तारी कर उन्हें जेल भेजा गया। और ना ही खबर लिखे जाने तक उनको पद से हटाने व कोई कार्रवाई किये जाने की सूचना पढ़ने व न सुनने को मिली।
मैं न तो किसी प्रकार की हिंसा का पक्षधर हूं और ना ही किसी भी प्रकार से गलत काम को बढ़ावा देने में विश्वास रखता हूं। और मेरा हमेशा मानना रहा है कि कोई भी व्यक्ति अगर सरकार के नियमविरूद्ध ऐसा कोई काम करता है जिससे शासन सरकार और जनता को कोई नुकसान होता है तो उसे सख्त से सख्त से सजा हर हाल में मिलनी चाहिए। लेकिन ऐसा दोनों पक्षों के साथ हो जो कर रहा है उसके साथ ही उस क्षेत्र के अफसर को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए क्योंकि अगर उसे घटना का पता नहीं है तो उसकी लापरवाही है तोभी वो पद पर रहने लायक नहीं है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए जो भी कार्रवाई नागरिकों के खिलाफ हो रही है वो भी संबंधित विभागों के असफरों के खिलाफ भी हो। चाहे वो मिलावट खोरी से संबंध हो या बाट और माप अथवा बिजली विभाग आवास विकास हो या प्राधिकरण नगर निगम व स्वास्थय विभाग अथवा अन्य कोई। कहने का मलबत सिर्फ इतना है कि दोषी जो भी हो कार्रवाई भी सबके खिलाफ हो। सिर्फ जनता और आम आदमी को मोहर बनाने से अब काम चलने वाला नहीं है। क्योंकि हमारी देश की सरकारें भी अब हर व्यक्ति को सस्ता न्याय सम्मान और सुविधाऐं देने की पक्षधर है तो फिर सरकारी नौकरशाह को छूट कैसे दी जा सकती है आम आदमी का उत्पीड़न करने की।
क्योंकि हर काम चाहने के बावजूद ना तो प्रधानमंत्री जी कर सकते है और ना ही मुख्यमंत्री जी और ना ही हमारे सांसद और विधायक। कुछ काम हमें अपने हित में करने पड़ेंगे। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के दिखाये गये मार्ग अहिंसा परमो धर्म को मानते हुए हमें शांतिपूर्ण तरीके से उनसे सीधे मिलकर या सोशल मीडिया के माध्यम से करने में कोई चूक नहीं करनी चाहिए। कहते है कि जब तक बच्चा रोता नहीं मां दूध पिलाती उसी प्रकार से जब तक हम अपनी बात नहीं कहेंगे हमारें जनप्रतिनिधियों को कैसे पता चलेगा कि कुछ नौकरशाह उनके मतदाताओं का आर्थिक और मानसिक व सामाजिक उत्पीड़न करने में लगे है। तो आओ अपना सम्मान और समय बचाने हेतु मिलकर अपनी बात पात्र अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाने का अपने व अपने परिवार के हित में संकल्प लें और तय करे कि सही बात कहने से चूकेंगे नहीं क्योंकि न्याय पाना और सम्मान से रहना हमारा भी अधिकार है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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