asd सोचना होगा क्या यही है बाबा साहेब के सपनों का भारत

सोचना होगा क्या यही है बाबा साहेब के सपनों का भारत

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भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की 135 वी जयंती आज देशभर में धूमधाम से मनाई गई। केंद्र और प्रदेश सरकारों से लेकर सभी स्कूलों और सरकारी कार्यालयों में इस अवसर पर अनेकों कार्यक्रम आयोजित हुए। तथा बाबा साहेब के क्रांतिकारी विचारों और उनके दृष्टिकोण के चलते शोभायात्राएं निकाली गई। अनेकों स्थानों पर प्रतिमाओं को धुलवाया गया और उनके आसपास सफाई कराई गई। राजनीतिक दलों ने कार्यक्रम किए। बच्चों को संविधान निर्माता के बारे में बताया गया। इस अवसर पर हर जिले में स्वच्छता अभियान चलाया गया। मिठाई बांटी गई और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया। संविधान निर्माता के साथ साथ बाबा साहेब एक श्रेष्ठ अर्थशास्त्री भी थे और उन्हें सामाजिक समस्याओं की जानकारी थी इसलिए वो इतना बड़ा संविधान अपने सहयोगियों के साथ तैयार कर पाए जिस पर नागरिक आस्था रखते हैं। लेकिन एक बात जरूर कही जा सकती है कि कुछ दबंग धनवान बाहुबली या सत्ता के गलियारों के आसपास घूमने वाले अपनी इच्छाओं की पूर्ति जल्दी धनवान बनने के लिए संविधान के विपरीत जाने की हिम्मत करते नजर आ रहे हैं। मैं यह तो नहीं कहता कि बाबा साहेब का देश और नियम कानून बदल गए हैं या लोग उन्हें मान नहीं रहे हैं। मगर यह जरूर कह सकता हूं कि अपने समय में हर व्यक्ति की साक्षरता महिला उत्थान और समाज में समरसता लाने के लिए उन्होंने जो प्रयास किए इस समय कुछ लोग प्रयास नहीं कर रहे हैं। यह जरूर कह सकता हूं कि आज भी बाबा साहेब के सपनों का भारत लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को मानने के मामले में शीर्ष पर विराजमान है। आज बाबा साहेब की 135 वीं जयंती के अवसर पर मैं किसी को संदेश तो नहीं दे सकता लेकिन यह जरूर कह सकता हूं देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में मजलूमों की मदद साक्षरता को बढ़ावा गरीबों के उत्थान की जो मुहिम चलाई जा रही है अगर उसके क्रियान्वयन के लिए अफसर प्रयास कर ले तो मेरा भारत महान तो है और ज्यादा महान बन सकता है। मगर इसके लिए जिम्मेदारों को यह जरूर सोचना होगा कि वर्तमान परिस्थितियों की कल्पना बाबा साहेब द्वारा की गई होगी या हम उनके व महात्मा गांधी के सपनों का भारत बनाने के लिए कामयाब हो रहे है। अगर नहीं तो उसके लिए प्रयास करना चाहिए और अपनी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन ना करने और विकास के लिए पैसे को जोंक की तरह चाटने वालों पर कार्रवाई का चाबुक चल जाए तो सब बढ़िया हो सकता है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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