देश को जब आजादी मिली तो विकसित देशों द्वारा हमें सपेरों का देश कहा जाता था। ऐसा बुजुर्गों से सुनने को मिला। लेकिन हमने सुई से लेकर कम्यूटर और हवाई जहाज बनाने में सफलता हासिल की है और जो देश हमारी मजाक उड़ाते थे आज हमारी प्रतिभाओं का लोहा मान रहे हैं। क्योंकि भारत से विदेशों में गए नौजवान हर क्षेत्र में अपनी सफलता की पताका फहराने में भूमिका निभा रहे हैं। आज देश में विज्ञान दिवस मनाया जा रहा है। जो हमारी उपलब्धियों और विज्ञान के क्षेत्र में हुए अविष्कारों की सफलता का प्रतीक है। आजादी के बाद देश में कुछ वैज्ञानिकों ने वो मुकाम हासिल किया जिसे पूरी दुनिया मान सम्मान तो दे ही रही है। लेकिन कई मामलों में विज्ञान का लाभ कई देश उठा रहे हैं। एक खबर के अनुसार आज 28 फरवरी है। आज देश विज्ञान दिवस मना रहा है। वह विज्ञान जिसके बिना विकास व प्रगति की कल्पना भी अब मुश्किल है। बहुत लंबा समय नहीं बीता है जब दुनिया के प्रगतिशील देश व लोग भारत को ‘सपेरों का देश’ कह कर उसका मजाक बनाते थे और झूठ भी नहीं था यह। आजादी के वक्त छोटे छोटे सामान के लिए भी हमें दूसरे देशों की तरफ ताकना पड़ता था। अब आज का हिन्दुस्तान सांपों के देश से कंप्यूटर के ‘माऊस’ युग के पार जाकर डिजिटल क्रांति के द्वार पर खड़ा है। ऐसे बहुत से देशों को विज्ञान का पाठ पढ़ा रहा है जो कल तक हमारी खिल्ली उड़ाया करते थे। यह बेशक एक बड़ी उपलब्धि है और इसी उपलिब्ध पर जश्न मनाने का दिन है आज। भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में समय-समय पर इतिहास लिखा है, उसके विज्ञान व वैज्ञानिकों ने इतना हासिल किया है कि दुनिया हतप्रभ है। सफलता की नई गाथा लिखते हुए भारत ने अपनी सबसे मारक और परमाणु क्षमता से युक्त अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि का सफल परीक्षण किया जिसकी पहुंच पूरे चीन तक है। आज भारत में विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में नये-नये प्रयोग हो रहे हैं। भारतीय वैज्ञानिकों के कारण पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन हुआ जिनमें प्रमुख रूप से जगदीश चंद्र बोस, सी.वी. रमण, होमी जहांगीर भाभा, शांतिस्वरूप भटनागर, एम. एन. साहा, प्रफुल्लचंद्र राय, हरगोविंद खुराना व कस्तूरी रंगन तथा ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। भारत की परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की प्रगति आश्चर्यजनक है। परमाणु और अंतरिक्ष से जुड़े विषयों व इलेक्ट्रॉनिक तथा सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी सुपर कंप्यूटर बनाकर हम इस क्षेत्र में अग्रणी देशों की पंक्ति में है। अब सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित उपकरणों का निर्यात विकसित देशों को भी कर रहे हैं। भारत के सूचना प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षित इंजीनियरों की अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान जैसे विकसित देशों में भारी मांग है। वैज्ञानिक अनुसंधानों के बलबूते भारत ने जलयान निर्माण, रेलवे उपकरण, मोटर उद्योग, कपड़ा उद्योग आदि में आशातीत सफलता प्राप्त की है। आने वाले समय में भारत बड़ी उपलब्धियों के लिए जाना जाएगा। विज्ञान के दम पर इस सदी में भारत दुनिया की अगुवाई करने के लायक बना तय है।
जहां तक मुझे लगता है हमारी सरकारों ने वैज्ञानिकों और उनके अविष्कारों के लिए सहायता उपलब्ध कराने में कोई कमी नहीं रखी गई। इसलिए आज हम अपनी उपलब्धियों का गुणगान करने में समर्थ हैं। क्योंकि प्रतिभा के धनी हमारे पीएम मोदी प्रतिभाओं को बढ़ावा दे रहे हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि भविष्य में विज्ञान के क्षेत्र में हमारे यहां युवा वैज्ञानिक आगे आएंगे और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महान वैज्ञानिकों द्वारा शुरू की गई योजनाओं में नए अध्याय जोड़कर देश का नाम दुनिया में रोशन करेंगे। वैसे तो सरकार सभी सुविधाएं दे रही है मुझे लगता है कि गांवों से युवा प्रतिभाओं को आगे लाया जाए तो इस क्षेत्र में और भी सफलता के मापदंड तैयार कर सकते हैं। क्येांकि देखने को मिलता है कि अनपढ़ भी अपनी प्रतिभा के दम पर छोटे अविष्कार कर रहे हैं। अगर उन्हें बढ़ावा मिले तो वो बहुत कुछ कर सकते हैं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सुई से लेकर कम्प्यूटर तक बना रहे हैं हम, ग्रामों में हो युवा वैज्ञानिकों की खोज
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