अयोध्या में भगवान राम का मंदिर हर देशवासी की भावना से जुड़ा है। और इससे संबंध हर छोटी से छोटी बात भी चर्चा में आती है और भक्त उसका संज्ञान भी लेते हैं। उसके बावजूद राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा जी द्वारा रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी की गर्भगृह में पानी आने से संबंध बात को यह कहकर समाप्त कर रहे हैं कि वायरिंग आदि से रिसकर आ गया होगा पानी। पानी आना किसी भी निर्माण में कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन इतनी प्रसिद्ध इमारत जो भावनात्मक रूप से नागरिकों से जुड़ी है और जिस पर निर्माण पर अथाह पैसा खर्च किया गया उसमें पानी का रिसना सही नहीं कहा जा सकता। मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कथन कि गर्भगृह में पानी भर गया अपने आप में महत्वपूर्ण है। क्योंकि इससे भक्तों को परेशानी होगी जबकि भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा का कहना है कि वायरिंग से रिसाव हुआ और अन्य कार्य चल रहे हैं। दूसरी तरफ 2025 में निर्माण पूरा होने की संभावनाओं को लेकर भी जो सवाल उठ रहे हैं मुझे लगता है कि उसको ध्यान में रखते हुए एक तो निर्माण समिति द्वारा पुजारी जी की सभी शंकाओं का निराकरण समय रहते किया जाना चाहिए। क्योंकि एक खबर से पता चलता है कि समिट इंडिया ट्रस्ट द्वारा विश्वभर में सौ से अधिक देशों में राम मंदिरों का निर्माण कराया जाएगा जिसके लिए केन्या सरकार द्वारा सौ एकड़ भूमि देने की बात सामने आई है। जो इस बात का प्रतीक है कि भगवान राम पूरी दुनिया में मान्य और सबके हैं इसलिए उनके मंदिरों से जुड़ी छोटी बात भी चाहे मामला कुछ भी हो नागरिकों के सामने बड़ी बनकर ही आएगी। इसलिए क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी सीधे भावनात्मक रूप से मंदिर से जुड़े हैं इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह सुनिश्चित होना चाहिए कि भविष्य में यह तो थोड़ी सी बारिश थी अगर ज्यादा बरसात भी आती है तो किसी भी रूप में मंदिर में पानी का रिसाव नहीं होना चाहिए। सबसे बड़ी बात कि इस कार्य को जिस इंजीनियर ने पूरा कराया हो उससे जवाब तलब हो कि इतनी बड़ी चूक कैसे हुई जो मंदिर के गर्भगृह तक बरसात का पानी पहुंच गया।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह तक पानी का जाना बड़ी चूक! पुजारी की चिंता सही है इसके लिए दोषियों के बचाने की बजाय व्यवस्था में सुधार और दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए
0
Share.