बेंगलुरु 08 मार्च। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के कई इलाकों में जल संकट गहरा गया है. हालत ये है कि पानी की कमी के चलते कुछ इलाकों के स्कूल और कोचिंग सेंटर तक बंद कर दिए गए हैं. क्लासेस ऑनलाइन कर दी गई हैं. हालत ये है कि शहर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए लोग महीने में 10 हज़ार रुपए तक खर्च कर रहे हैं. लोगों की पानी संबंधी मदद के किये सरकार हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है.
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बेंगलुरु के कुमारकृपा रोड स्थित कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के कार्यालय-सह-आवास के अंदर पानी के टैंकर देखे गए हैं. वहीं, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि बेंगलुरु के सदाशिवनगर में उनके घर का बोरवेल पहली बार पूरी तरह से सूख गया है, जबकि यह (घर) सदाशिवनगर सैंकी झील के बगल में स्थित है. बेंगलुरु की सड़कों पर पानी के टैंकर को चक्कर लगाते देखना अब आम हो चला है.
शिवकुमार के अनुसार, सामान्य दिनों में पानी की आपूर्ति करने वाला एक टैंकर 700 से 800 रुपये लेता था, लेकिन अधिक मांग होने के कारण अब टैंकर की दर 1,500 से 1,800 रुपये के बीच हो गई है. बेंगलुरु के उत्तरहल्ली के रहने वाले शरशचंद्र ने कहा, ‘हमारे परिवार में छह सदस्य हैं. उचित तरीके से इस्तेमाल करने पर पानी का एक टैंकर पांच दिनों तक चलता है. इसका मतलब है कि हमें एक महीने में छह टैंकर पानी की जरूरत होती है, जिसके लिए हमें प्रति माह लगभग 9000 रुपये खर्च करने होंगे. हम कब तक इस तरह से पैसा खर्च करें?’
बेंगलुरु विकास प्रभारी का जिम्मा संभाल रहे उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने बेंगलुरु में पानी की मांग को पूरा करने के लिए निजी टैंकर और निजी बोरवेल को अपने कब्जे में लेने की घोषणा की. उन्होंने यह भी कहा कि पानी की आपूर्ति के लिए दूध के टैंकरों का भी उपयोग किया जाएगा. सरकार प्रति टैंकर पानी की दर तय करने पर भी विचार कर रही है. सिद्धरमैया के अनुसार, कर्नाटक की 136 तालुका में से 123 को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है और 109 गंभीर रूप से जल संकट का सामना कर रही हैं.