Date: 22/11/2024, Time:

पूर्व में भी कुलपतियों पर लगते रहे हैं आरोप! सीसीएसयू के अधिकारियों पर 300 करोड़ रूपये के भ्रष्टाचार के आरोपों की हो जांच, दीक्षांत समारोह और अन्य खर्चो पर जो खर्च होता है उस पर भी दिया जाए ध्यान

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वैसे तो किसी भी नागरिक पर पुख्ता सबूत के बिना भ्रष्टाचार के आरोप लगाया जाना समयानुकुल नहीं कह सकते लेकिन अगर बात करें चौधरी चरण सिंह विवि के अधिकारियों की तो पूर्व में आरपी सिंह सहित कई कुलपतियों पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं। जांच में कुछ सही भी पाए गए। ऐसा लोगों का मानना है। इस तथ्य को दृष्टिगत रख चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में 300 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाते हुए सीसीएसयू की दीवारों और आसपास के क्षेत्रों में पोस्टर लगाए गए हैं। विश्वविद्यालय परिसर की दीवारों से लेकर कृष्णा प्लाजा की दीवारों तक लगाए गए कई पोस्टर में सीसीएसयू के पांच प्रमुख अधिकारियों पर 300 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया है।
पोस्टरों में विलेंस ऑफ सीसीएसयू की हेडलाइन के साथ कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला, पुस्तकालय अध्यक्ष प्रोफेसर जमाल अहमद सिद्दीकी, इंजीनियर मनीष मिश्रा, वित्त अधिकारी रमेश चंद्र निरंजन और नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर संदीप अग्रवाल के नाम और तस्वीरें प्रकाशित की गई हैं। इन पांचों पर विश्वविद्यालय के 300 करोड़ रुपये गबन करने का आरोप लगाया गया है।
पोस्टर के सार्वजनिक होने पर हलचल
पोस्टरों के सार्वजनिक होने के बाद विश्वविद्यालय परिसर में हलचल मच गई है। सूत्रों के अनुसार, प्रशासन जल्द ही इस मामले पर स्पष्टीकरण दे सकता है। घोटाले के आरोपों से जुड़े पोस्टर लगाने वालों की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है, लेकिन इस घटना ने विश्वविद्यालय के प्रशासन और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
फैकल्टी सदस्यों में नाराजगी
सीसीएसयू के छात्रों और फैकल्टी सदस्यों में भी इस घटनाक्रम को लेकर नाराजगी है और वे इन आरोपों की पूरी जांच की मांग कर रहे हैं। प्रशासन पर आरोप लगाने वाले इन पोस्टरों ने विश्वविद्यालय के माहौल को गरमा दिया है।
छात्रों ने दिया धरना, किए प्रदर्शन
बीते सोमवार को सीसीएसयू परिसर में छात्रों के दो गुटों ने धरना देते हुए प्रदर्शन किया। सीसीएसयू में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए छात्रों ने बीएड कॉलेजों पर कार्रवाई की मांग की।
प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार समाप्त करने की मुहिम के तहत छात्रों ने जो आरोप लगाए गए हैं मुझे लगता है कि राज्यपाल द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों की कमेटी बनाकर उनकी जांच कराई जाए क्योंकि जिन पांच लोगों पर आरोप लगाए हैं वो प्रमुख और प्रभावशाली है और विवि में इनके इशारे पर कुछ भी हो सकता है। इस तथ्य एवं पूर्व में जो कई कुलपतियों पर गंभीर आरोप लगें और कुछ सही भी पाए गए और कई पर कार्रवाई भी हुई इसलिए इस बिंदु को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। मेरा मानना है कि विवि में होने वाले दीक्षांत समारोह से लेकर विभिन्न विभागों के प्रमुखों द्वारा जो कार्यक्रम कराए जाते हैं उनका कितना लाभ आम आदमी को हो रहा है और इस पर कितना खर्च होता है इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि पिछले कुछ माह पूर्व यहां की रददी बिक्री व अन्य मुददों को लेकर काफी चर्चाएं आम रही थी। यहां जो छात्र आरोप लगा रहे हैं उन्हें निराधार नहीं कहा जा सकता।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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