प्रेम चाहे किसी भी रिश्ते में हो यह सब एक पवित्र भावना को प्रदर्शित करता है। लेकिन पिछले कुछ दशक से वेलेंटाइन डे के नाम पर अपने आपको प्रेमी दर्शाने वाले लफंगों द्वारा इस दिन को बदनाम करने की जो कोशिश होती रही है वो ना तो सही कही जा सकती है और ना ही समयानुकुल। बताते हैं कि एक संत के नाम पर 14 फरवरी को पहले पश्चिमी देशों में यह दिन मनाया जाता था लेकिन अब अपने देश में भी युवा इस दिवस पर अपने दोस्तों व प्रेमिका को फूल व उपहार देकर अपनी भावना का इजहार करते हैं मगर इसी बीच कुछ मानसिक रूप से ग्रस्त कहे जा सकने वाले लोग कभी कभी जबरदस्ती और कभी दबाव में अपने भौंडे प्रेम का दर्शन कर इस दिन को बदनाम करने की कोशिश करने से नहीं चूक रहे हैं। मुझे लगता है कि शायद इसी बात का हिंदू संगठनों द्वारा विरोध भी किया जाता है वरना प्यार का तो दुनिया में कोई भी विरोधी नहीं हो सकता क्योंकि यह शब्द ऐसा है जिसकी ना तो कोई सीमा है कि प्यार किस किस से हो सकता है। आजतक जो देखा उससे यही समझ आया कि प्यार करने का कोई दिन और समय नहीं होता। यह तो भावना है जो अपनों के साथ व्यक्त की जाती है। साहित्यकार व शिक्षाविद अजहर हाशमी ने अपने एक लेख में लिखा कि प्रेम शब्द साखी कबीर की प्रेम दधीचि का अस्थि दान। भक्त का भगवान के प्रति प्रेम, पति-पत्नी का परस्पर प्रेम, अवतारों-तीर्थंकरों-पैगंबरों का हर प्राणी से प्रेम आदि। त्रेता युग के अवतार श्रीराम का जटायु के प्रति प्रेम ही तो था कि उनकी आंखों से प्रेमाश्रु निकले और उन्होंने भाव-विह्वल होकर जटायु का दाह-संस्कार किया। द्वापर के अवतार श्रीकृष्ण का सुदामा के प्रति मित्रता से परिपूर्ण प्रेम ही तो था कि सुदामा जब उनसे बड़े संकोच के साथ मिलने आए, तो उनकी दयनीय दशा देखकर केशव की आंखों से अविरल आंसू बह निकले- देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिकै करुनानिधि रोयेध् पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोये।।
यह तीर्थंकर महावीर स्वामी का प्रेम-भाव ही तो था कि उन्होंने उस ग्वाले को क्षमा कर दिया, जिसने उनकी ध्यानावस्था में उनके कानों में कीलें ठोकी थीं, जिससे खून बह निकला था। यह पैगंबर ईसा मसीह का प्रेम-भाव ही था कि उन्होंने उन सभी विरोधियों को क्षमा कर दिया, जिन्होंने उन्हें कांटों का ताज पहनाकर, कंधों पर अपना सलीब स्वयं ढोते हुए सूली पर चढ़ा दिया था। पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने उस वृद्धा के घर जाकर प्रेम-भाव से उसका हाल पूछा, जो उन पर हमेशा कचरा फेंका करती थी। इसी प्रेम-भाव के तहत उन्होंने उसे माफ भी कर दिया। भगवान गौतम बुद्ध ने अंगुलिमाल जैसे उस दुर्दांत डाकू को, जो हत्या करके अपने शिकार की अंगुली काटकर उसकी माला पहनता था, प्रेम-भाव दर्शाकर क्षमा कर दिया था। अंगुलिमाल गौतम बुद्ध के उस प्रेम-भाव से प्रभावित होकर उनका अनुयायी हो गया।
संत मदर टेरेसा का कुष्ठ-रोगियों से यह प्रेम-भाव ही था कि वह आजीवन उनकी सेवा में समर्पित रहीं। भारतीय संस्कृति के संदर्भ में देखें, तो महर्षि दधीचि प्रेम-भाव के अद्वितीय-अनुपम उदाहरण हैं। जब ब्रह्मा से इंद्र को पता चला कि महा-तपस्वी महर्षि दधीचि की हड्डियों से बने वज्र से ही दैत्यों को हराया जा सकता है, तो इंद्र ने महर्षि से उनकी हड्डियों का दान मांगा। महर्षि ने इंद्र का निवेदन स्वीकार करके तपस्या द्वारा देह-त्याग कर दिया, ताकि उनकी हड्डियों से बने वज्र से देवताओं को विजय प्राप्त हो सके। इसीलिए कहा जाता है- प्रेम मनुष्यत्व का विधान है, प्रेम समर्पण का संविधान है, प्रेम शब्द साखी है कबीर की, प्रेम दधीचि का अस्थिदान है। देखा जाए, तो देश के प्रति समर्पण प्रेम का ही पावन स्वरूप है। सुखदेव, राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, अशफाकुल्ला खां, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद का बलिदान देश के प्रति प्रेम-भाव की सर्वोच्च मिसाल है। महात्मा गांधी भी प्रेम द्वारा हृदय-परिवर्तन के विश्वासी थे और उन्होंने इसे अहिंसा व सत्याग्रह से चरितार्थ भी किया।
अजहर हाशमी के लेख से सहमत होते हुए मेरा मानना है कि सावन और फाल्गुन तो वैसे भी प्रेम मस्ती की भावनाओं के प्रतीक समझे जाते है। होली पर लोग मस्ताते हैं तो सावन में महिलाओं में प्यार की भावनाएं हिलोरे लेने लगती है। इस साल तो वैसे भी वेलेंटाइन डे बहुत शुभ योग में पड़ा है। पंचाग अनुसार 14 फरवरी का आज बहुत ही शुभ मुहुर्त है। जिससे मेरठ में ही 600 तक शादियां होंगी। व्यापारी और टेंट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विपुल सिंघल का कहना है कि आज की शादियों में वेलेंटाइन थीम पर बारातियों को गुलाब का फुल और चाकलेट केक परोसने की योजना है। कुल मिलाकर वेलेंनटाइन डे महत्वपूर्ण हो गया है। संत वेलेंटाइन ने अपने प्रेम के लिए हर पवित्रता को अपनाने की कोशिश की। युवा भी अगर इस दिवस को सिर्फ प्रेम का रूप मानकर मनाएं तो यह दिन दुनिया के लिए भी यादगार बन सकता है। आनलाइन के चलते व्यापारी की आमदनी होती थी वो घट गई है। यह सब परिवर्तन चलते रहते है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
शुभ मुहुर्त में आया वेलेंटाइन डे, अकेले मेरठ में होंगी 500 से 600 शादियां, प्रेम की कोई सीमा नहीं है
0
Share.