asd उत्तर प्रदेश पुलिस सत्ता का आनंद ले रही, संवेदनशील बनाने की जरूरतः सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश पुलिस सत्ता का आनंद ले रही, संवेदनशील बनाने की जरूरतः सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली 29 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि उत्तर प्रदेश की पुलिस सत्ता का आनंद ले रही है और संवेदनशील होने की जरूरत है. कोर्ट ने ये चेतावनी भी दी कि अगर याचिकाकर्ता को छुआ भी तो ऐसा कोई कठोर आदेश पारित करेंगे कि जिंदगीभर याद रहेगा. यह मामला याचिकाकर्ता अनुराग दुबे का है, जिन पर अलग-अलग कई मामले दर्ज हैं. उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया, लेकिन वह पेश नहीं हुए, जिसे लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सवाल उठाए हैं.

इस पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हो सकता है कि याचिकाकर्ता को ये डर है कि जांच के दौरान उस पर कोई और मामला दर्ज न कर दिया जाए. यूपी पुलिस सत्ता का आनंद ले रही है। आप कितने मामले दर्ज करेंगे? अगर दुबे को छुआ, तो हम इतना सख्त आदेश पारित करेंगे कि उन्हें जिंदगी भर याद रहेगा। आप अपने डीजीपी को बताएं कि हम कड़ा आदेश पारित कर सकते हैं।’

यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फर्रुखाबाद के गैंगस्टर अनुराग दुबे की अग्रिम जमानत पर सुनवाई के दौरान की। जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने यूपी पुलिस के वकील से कहा- जमीन हड़पने का आरोप लगाना बहुत आसान है। यहां तक ​​कि विक्रय पत्र होने के बावजूद भी आप जमीन हड़पने की बात कह रहे हैं? क्या यह दीवानी या आपराधिक मामला है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस को संवेदनशील होने की जरूरत है। आजकल सब कुछ डिजिटल है। सीधे समन कौन भेजता है?

कोर्ट ने कहा कि अनुराग दुबे ने अपना मोबाइल फोन हमेशा चालू रखने और जांच में सहयोग करने को कहा है। कोर्ट की इजाजत के बिना किसी भी मामले में और किसी भी परिस्थिति में हिरासत में नहीं लिया जा सकता। अनुराग दुबे की अंतरिम जमानत जारी रहेगी।

इस पर यूपी सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राणा मुखर्जी ने बताया कि याचिकाकर्ता को नोटिस भेजा गया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए। सिर्फ हलफनामा भेज दिया। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की, याचिकाकर्ता को शायद इस बात का डर है कि पुलिस उनके खिलाफ नया झूठा मामला दर्ज कर सकती है।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- हर बार आप उनके खिलाफ नया मामला दर्ज कर देते हैं। कितने मामलों का आप समर्थन कर पाएंगे? यह जमीन विवाद है या आपराधिक मामला? आपकी पुलिस बहुत खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश कर रही है और इसका आनंद ले रही है।

इस बीच कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक चौधरी से पूछा कि दुबे उपस्थित क्यों नहीं हुए। वकील ने बताया, उनके पास इस बारे में निर्देश नहीं हैं। लेकिन, दुबे ने पुलिस को अपना मोबाइल नंबर दिया है ताकि उन्हें सूचित किया जा सके।

इस पर कोर्ट ने सुझाव दिया कि अब डिजिटल युग है और नोटिस मोबाइल पर भेजा जाए। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि पुलिस दुबे को गिरफ्तार नहीं करेगी। अगर पुलिस को गिरफ्तारी की जरूरत महसूस होती है, तो वह कोर्ट से इजाजत ले। जस्टिस सूर्यकांत ने यह चेतावनी भी दी कि अगर पुलिस अधिकारियों ने गिरफ्तारी की तो हम उन्हें सस्पेंड करेंगे।

पूरा मामला
फर्रुखाबाद के मऊ दरवाजा थाने में अनुराग दुबे उर्फ डब्बन के खिलाफ धोखाधड़ी, मारपीट और जालसाजी समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज है। अनुराग दुबे कसरटट्ट में रहता है। उसके कोर्ट में हाजिर न होने पर हाजिरी नोटिस उसके घर के मुख्य गेट पर चस्पा किया गया है।

वहीं, अनुराग दुबे का भाई अनुपम दुबे बसपा नेता है। इंस्पेक्टर रामनिवास यादव और पीडब्ल्यूडी ठेकेदार शमीम की हत्या के मामले में वह मथुरा जेल में बंद है। इसके अलावा इसी मर्डर केस में अनुपम दुबे के साथ आरोपी बनाए गए विनय दुबे की करीब 2.5 करोड़ रुपए की संपत्ति को डीएम के आदेश पर कुर्क किया गया है।

अनुपम और अनुराग दुबे पर कुल 10 मामलों में जांच चल रही है। आरोप है कि दोनों भाई गैंग चलाते हैं। यह गैंग जिले में अवैध हथियारों और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त है।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 323, 386, 447, 504 और 506 के तहत दर्ज मामले को रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल दुबे की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। हालांकि बाद में याचिकाकर्ता दुबे के खिलाफ दर्ज अन्य मामलों और आरोपों की प्रकृति को देखते हुए, शीर्ष अदालत ने मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। पीठ ने पुलिस से पूछा था कि आरोपी को अग्रिम जमानत क्यों न दे दी जाए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता दुबे के वकील से पीठ द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उनके पास इस संबंध में कोई निर्देश नहीं है। साथ ही कहाकि दुबे ने पुलिस अधिकारियों को अपना मोबाइल नंबर दिया है, ताकि वे उसे सूचित कर सकें कि उसे कब और कहां पेश होना है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को निर्देश दिया कि आरोपी को जांच में शामिल होने दें, लेकिन इस अदालत की अनुमति के बगैर उसे गिरफ्तार न करें। पीठ ने पुलिस से कहा कि यदि आपको लगता है कि किसी विशेष मामले में गिरफ्तारी की आवश्यकता है, तो आप पहले सुप्रीम कोर्ट आकर उसका उचित कारण बताए।

बताते चले कि अनुपम दुबे पर अलग-अलग थानों में 63 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें हत्या, जमीन पर कब्जा और फिरौती मुख्य है। पुलिस अब तक उसकी 113 करोड़ से अधिक की प्रॉपर्टी कुर्क कर चुकी है। साल 2021 से वह जेल में है।

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