आदमखोर कुत्तों ने बुजुर्ग बच्ची आदि को बनाया अपना शिकार। नोच नोंचकर मार डाला। भेड़िया तेंदुआ आदि जानवरों और बच्चों को उठाकर ले गए और फिर मार डाला। बंदरों ने छत पर घूम रही महिला को भगाया या नोंचा। डरी महिला गिरकर मर गई। ऐसी खबरें आजकल मीडिया में पढ़ने सुनने और देखने को मिलना आम बात हो गई है। लेकिन कुछ तो आम आदमी पर रोजी रोटी कमाने और आर्थिक समस्या दूर करने के लिए समय का अभाव और कोई इन खूंखार जानवरों के खिलाफ आवाज उठाता है तो माननीय मेनका गांधी जी और एनिमल केयर सोसायटी के लोग बीच में आ खड़े होते हैं। परिणामस्वरूप पहले से ही कोई कार्रवाई ना करने के इच्छुक संबंधित विभागों के अधिकारियों को मौका मिल जाता है जिस कारण देशभर में इन हिंसक जानवरों से पीड़ित व्यक्ति और परिवार पूरी तौर पर सहमे और डरे रहते हैं। कई बार तो इनका शिकार हुआ व्यक्ति सही समय से सरकारी अस्पतालों में इंजेक्शन ना मिलने के चलते इनके रैबीज का शिकार होकर पागल सा हो जाता है।
पहली बार उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा आम जनमानस की परेशानी को समझा गया और इनसे पीड़ितों के परिवारों के सामने जो कठिनाईयां आती हैं उन्हें ध्यान में रखकर वन्य जीवों की दृष्टि से अलर्ट पर रहने के आदेश संवेदनशील जिलों के अफसरों को दिया गया। तथा आदमखोर भेड़ियों को मारने की अनुमति दिए जाने की बात कही गई है। प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह द्वारा इस बारे में आदेश भी जारी किए गए हैं। तथा सीएम योगी द्वारा बीते सोमवार को मेरठ, बिजनौर, हापुड़ मुरादाबाद सहित अन्य जिलों के डीएम पुलिस कप्तानों व अन्य अफसरों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में वन्य जीवों को लेकर समीक्षा की। जिससे अब यह आशा बंधी है कि आम आदमी भी सीएम की भावनाओं और मुख्य सचिव के आदेश के आधार पर अपनी और परिवार की सुरक्षा के लिए मजबूती से आवाज उठा सकता है तथा बिना पंजीकरण कराएं और रैबीज का टीका लगवाए हिंसक जानवर पालने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी कर सकता है। बताते चलें कि बहराइच में मां के पास सो रही ढाई साल की बेटी को भेड़िया उठाकर ले गया जिसके बाद विभाग की 16 टीमों में 100 वन कर्मी भेड़ियों की तलाश में लगाए गए। पिंजरे ड्रोन टेकुलाजर गन सहित 200 पीएसी के जवान भी लगाने की बात सामने आई। बता दें कि इस जिले में अब तक 10 लोग भेड़िये का शिकार और 27 घायल हो चुके हैं।
एक खबर के अनुसार मेरठ सहित बिजनौर अमरोहा हापुड़ में फैली करीब 2073 किमी की हस्तिनापुर सेंक्युरी में 500 भेड़िये होने और झुंड में बच्चों पर हमला करने की बात सुनाई दी है।
हर साल 13 अगस्त हो अंतरराष्ट्रीय भेड़िया दिवस मनाया जाता है। मेरा मानना है कि इसके बजाय अब जानवरों की सुरक्षा और उनके खाने रहने का माहौल तैयार किया जाना चाहिए। लेकिन ये जो हम जानवर दिवस मनाते हैं इसकी बजाय अब इससे मानव बचाओ दिवस मनाने की बड़ी आवश्यकता है।
एक खबर के अनुसार पर्यावरण मंत्री से चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने लगाई खूंखार जानवरों से बचाने की अपील। कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) के माध्यम से भर्ती मल्टी टॉस्किंग कर्मचारी (एमटीएस) जान जोखिम में ड़ालकर दिल्ली चिडियाघर में खूंखार जानवरों की देखभाल करने की डयूूटी करने को विवश है। चिड़ियाघर के अलग-अलग अनुभागों में तैनात अनुभवहीन 60 कर्मियों ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर मिलने का समय मांगा है। इनकी नियुक्ति जनवरी 2024 में की गई थी। आरोप लगाया कि भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के नियमानुसार उनको वन एवं पर्यावरण मंत्रालय या संबद्ध विभागों में कार्यालय कार्य करना है। इसमें अभिलेखों का रख-रखाव करने से लेकर ड़ाक पहुंचाने की जिम्मेदारी निर्धारित हैं। नियमों को ताक पर रख दिल्ली चिड़ियाघर में जानवरों की देखभाल कार्य सौंपा हैं। कर्मचारियों ने आपत्ति जताई है कि जानवरों की देखभाल से जुड़ेघ् किसी भी प्रकार का अनुभव न होने के बावजूद काम पर लगाया गया हैं। हैरानी की बात है कि जू कीपर के लिए पांच साल और सहायक कीपर के लिए जंगली जानवरों को कैद में रखने का एक वर्ष का अनुभव भर्ती नियम में है। इस नियम की भी दिल्ली चिडियाघर में नजरंदाज किया गया हैं। इनकी डयूटी शेर, बाघ समेत अन्य खूंखार जानवरों की देखरेख में लगाया हैं। नाम न उजागर करने पर एमटीएस कर्मचारियों ने पत्रकारों से कहा कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री से मिलने के लिए अनुरोध किया है। मिलकर अपनी बातें रखेंगे। दिल्ली चिड़ियाघर के प्रवक्ता का कहना है कि इस मामले पर उच्चाधिकारियों से बात कर उचित कदम उठाया जाएगा। पंद्रह दिन तक प्रशिक्षण में भी नहीं दी सुरक्षित काम करने की जानकारीः चिड़ियाघर प्रशासन ने नियुक्ति के बाद 15 दिन की ट्रेनिंग दी गई। जानवरों के बीच सुरक्षित काम करने की कोई जानकारी नहीं दी गई। काम को लेकर आपत्ति जताई तो उनकी मांगे अनसुनी कर दी गई। कई बार उच्चाधिकारियों से इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई जा चुकी हैं। अभी तक कर्मचारियों को कोई राहत नहीं दी गई है। इससे सभी कर्मचारियों में कार्य को लेकर रोष व्याप्त है। हालांकि, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने वर्ष 1994 में एमटीएस कर्मचारियों के लिए भर्ती नियम निर्धारित किया था।
शेर, बाघ और जगुआर को मांस खिलाने तक की है जिम्मेदारीः
एमटीएस कर्मचारियों को जू में बंद शेर, बाघ और जगुआर को भोजन के रूप में मांस खिलाने की जिम्मेदारी भी दी गई है। कई कर्मचारियों का कहना है कि इससे हमारी धार्मिक भावना भी आहत हो रही है। उच्च अधिकारियों को जब इस बात से अवगत कराया तो इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। इन कर्मचारियों का कहना है कि खूंखार जानवरों को नियंत्रित करने में उन्हें काफी परेशानी आ रही हैं। जानवरों के हमला करने की आशंका निरंतर बनी हुई हैं। आनेवाले समय में भी नए एमटीएस की परीक्षा होनेवाली है और नए कर्मचारियों के लिए यह कार्य चुनौतीपूर्ण होगा।
कोई भी जागरूक पाठक चिड़ियाघर के कर्मचारियों की मांग से अंदाजा लगा सकता है कि यह हिंसक जानवक कब कहा कितना हिंसक होकर छोटे जानवरों और नागरिकों को अपना शिकार बना सकते हैं। मेरा केंद्रीय पर्यावरण मंत्री एवं यूपी के सीएम से आग्रह है कि जिस प्रकार वहां खूंखार भेड़ियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कराई गई है। उसी हिसाब से अन्य खूंखार जानवरों के लिए भी आदेश दिया जाए। जिससे भविष्य में कोई भी मां इनके कारण अपने लाल से ना बिछड़े और किसी भी बहन को रक्षाबंधन और भाईदूज पर अपने भाई की कमी ना खले व जनहित में खूंखार जानवरों से लोगों को बचाने के लिए हर संभव कार्रवाई की जाए। मगर फिलहाल यूपी के सीएम ने जो यह सकारात्मक कदम जनहित में उठाया है उसके लिए नागरिक उनके आभारी हो सकते हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
यूपी के सीएम व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री दें ध्यान, भेड़िया दिवस नहीं नागरिक बचाओ दिवस मनाया जाए, खूंखार जानवरों से नागरिकों को बचाने के लिए भेड़ियों के समान ही अन्य आदमखोरों के खिलाफ कार्रवाई के दिए जाएं आदेश
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