शामली 29 मई। महिला की सही तरीके से डिलीवरी करने का वायदा करने के बावजूद महिला चिकित्सक ने गलत आपरेशन कर दिया। इसमें सही उपचार न मिलने से नवजात की मृत्यु होने के साथ ही महिला मातृत्व सुख से वंचित हो गई। वहीं दूसरे चिकित्सक ने भी सुचारू उपचार नहीं किया। पीड़ित महिला ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद दायर किया, जिसकी सुनवाई करते हुए आयोग ने महिला समेत दो चिकित्सकों पर 3.60 लाख रुपये का अर्थदंड लगाया है।
झिंझाना निवासी महिला शहजादी ने 18 दिसंबर 2017 को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में डा. अनुपमा बहल, रवि सहायक, उर्मिला नर्स, डा. मुकेश पर वाद दायर किया था। इसमें उसने अवगत कराया कि वह विपक्षी डा. अनुपमा बहल के नर्सिंग होम पर 13 जनवरी 2017 को भर्ती हुई थी। उसे सही तरीके से डिलीवरी करने का वायदा कर दाखिल किया गया और 13 जनवरी को ही आपरेशन कर दिया गया। इसमें उसे एक बच्चे को जन्म दिया, लेकिन विपक्षी डाक्टर के ठीक से उपचार न करने पर उसकी छह दिन बाद ही मौत हो गई। वहीं उसे सही इलाज न करने पर उसके शरीर में संक्रमण फैल गया, लेकिन विपक्षी ने कोई ध्यान नहीं दिया। इस व्यवहार से वह मृत्यु के नजदीक पहुंच गई, वहीं उससे एक लाख रुपये लिए गए। इसके कारण परिवार के लोग उसे 18 जनवरी को मुकेश नर्सिंग होम में ले गए, लेकिन संक्रमण इतना अधिक था, कि यहां भी उसे 10 दिन उपचार दिया, मगर कोई लाभ नहीं हुआ।
पीजीआई रोहतक में चार माह उपचार
इसके बावजूद चिकित्सक ने न तो उसे रेफर किया और न ही संतोषजनक उपचार दिया। उसकी नाजुक हालत देखते हुए स्वजन उसे बिना रेफर के ही पंडित बीडी शर्मा पीजीआई रोहतक हरियाणा ले गए। यहां चार माह उपचार के बाद से कुछ आराम मिला और पांच लाख रुपये खर्च हुए। यहां चिकित्सक ने बताया कि उसका लापरवाही से आपरेशन किया गया, इसके कारण वह भविष्य में गर्भधारण नहीं कर सकती है और यदि किया तो यह उसकी मृत्यु का कारण बन सकता है।
गंभीर होने पर भी 10 दिन तक किया इलाज
जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष हेमंत गुप्ता ने निर्णय सुनाया। इसमें सदस्य अभिनव अग्रवाल तथा अमरजीत कौर शामिल रहे। आयोग ने स्पष्ट किया कि सहायक रवि व नर्स उर्मिला से बाद निरस्त किया जाता है। विपक्षी एक डा. अनुपमा बहल पर इलाज में गंभीर लापरवाही व उपेक्षा के चलते दो लाख रुपये व डा. मुकेश पर यह जानते हुए भी कि स्थिति गंभीर है, उसके बावजूद उसे हायर सेंटर रेफर न कर स्वयं 10 दिन इलाज किया। जिससे उसकी हालत और गंभीर हो गई, इसलिए 50 हजार रुपये तथा विपक्षी 10 हजार वाद खर्च देंगे। इसके साथ ही विपक्षी डा. बहल पर एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाया गया। साथ हीं, स्पष्ट किया कि 35 दिनों में धनराशि आयोग में जमा न की गई तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।