नई दिल्ली, 04 जून। लोकसभा चुनाव के रुझान आने जारी हैं। जहां एनडीए गठबंधन अब तक बहुमत के आंकड़े को पार करने में सफल दिखा है, वहीं इंडी गठबंधन भी अप्रत्याशित रूप से बेहतर प्रदर्शन करता दिख रहा है। रुझानों में सीटों के आंकड़े की बात करें तो जहां एनडीए 290-300 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, वहीं इंडी गठबंधन 200 सीटों से ऊपर पहुंच चुका है। इस बीच लोगों के बीच एग्जिट पोल के नतीजों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
दरअसल, इस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने गठबंधन के लिए ‘400 पार’ का नारा दिया था। तीन सर्वे में भाजपा़ को 400 या उससे ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। अगर एग्जिट पोल सच साबित होते, तो मोदी अपनी पार्टी को लगातार तीसरी बार बहुमत दिलाने में सफल होते। हालांकि, इस बार चुनाव में जहां भाजपा की सीटें 230 से 240 के बीच सिमट रही हैं, वहीं कांग्रेस करीब 100 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा ने 303 सीट जीती थी, जबकि राजग की संख्या 353 थी। कांग्रेस को 53 सीट और उसके सहयोगियों को 38 सीट मिली थीं। हालांकि, एग्जिट पोल आने के बाद तमाम विपक्षी दलों ने इन्हें गलत बताया। इनके आकंड़ों पर सवाल भी खड़े कर दिए। एनडीए को तो लगभग सभी एग्जिट पोल में 350 से 400 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, रुझानों में यह आंकड़े अब तक काफी दूर हैं। एग्जिट पोल में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से एनडीए को लगभग 60 से 74 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। लोकसभा की 543 में से 542 सीटों पर काउंटिंग जारी है। रुझानों में भाजपा बहुमत से दूर है। उसे 31 से ज्यादा सीटों का नुकसान दिख रहा है। 2019 में पार्टी को 303 सीटें मिली थीं। हालांकि, एनडीए की सरकार बनती दिख रही है। रुझानों में एनडीए को 296 और इंडिया गठबंधन को 228 सीटों पर आगे है।
रुझानों में उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में एनडीए को नुकसान दिख रहा है। लखनऊ के रामबाई इलाके के काउंटिंग सेंटर पर भाजपा और सपा कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए।
इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट के अनुसार, दोपहर एक बजे तक भाजपा को 241, कांग्रेस को 94, सपा को 36, टीएमसी को 31, डीएमके को 21, टीडीपी को 16, जेडीयू को 15, शिवसेना यूटीबी को 9, एनसीपी शरद पवार को 7, राजद को 4 और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास को 5, शिवसेना शिंदे को 7 सीटें मिलती दिख रही हैं।
काउंटिंग सुबह 8 बजे शुरू हुई। पहले पोस्टल बैलट और उसके बाद ईवीएम के नतीजे आ रहे हैं। अगले 2 से 3 घंटे में नई सरकार की तस्वीर साफ हो सकती है। चुनाव आयोग ने 16 मार्च को लोकसभा चुनाव कार्यक्रम का ऐलान किया था। कुल 7 फेज में 19 अप्रैल से 1 जून तक वोटिंग हुई। 1952 के बाद 44 दिन का यह चुनाव सबसे लंबा रहा। 1952 में यह 4 महीने चला था। इन 2 मौकों के अलावा चुनाव की प्रोसेस अमूमन 30 से 40 दिन में पूरी हो जाती थी।हालांकि, रुझानों में सपा ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी है और 30 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बना रखी है। वहीं, भाजपा भी 35 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।