लखनऊ 01 अगस्त। यूपी में प्राइवेट बस और टैक्सी में सफर करना आगे महंगा पड़ सकता है. सरकार कॉमर्शियल वाहनों पर टैक्स बढ़ाने की तैयारी कर रही है. ऐसे में इन वाहनों का किराया भी बढ़ जाएगा. इसका असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा.
दरअसल, परिवहन विभाग व्यावसायिक वाहनों का टैक्स 12 से 14 फीसदी तक बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. दो अगस्त को परिवहन आयुक्त कार्यालय में टैक्स को लेकर बैठक भी बुलाई गई है. इस बैठक में बस, ट्रक और मध्यम-हल्के माल व यात्री वाहनों से संबंधित संगठन के लोगों को भी आमंत्रित किया गया है. बैठक से पहले ही ट्रैवेल्स संचालकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. कहा है कि इससे व्यापार प्रभावित होगा, यात्रियों की जेब पर भी बेवजह ही भार पड़ेगा.
परिवहन विभाग ने व्यावसायिक वाहनों का टैक्स बढ़ाने का फैसला कोरोना काल के बाद ही ले लिया था. हालांकि किसी वजह से इस पर रोक लग गई. एक बार फिर से इसकी कवायद शुरू कर दी गई है. टैक्स बढ़ोतरी की सूचना के बाद ही ट्रैवेल्स संचालकों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.
वर्तमान में लागू है ये त्रैमासिक टैक्स
4000 रुपये पांच सीटर वाहन
6000 रुपये सात सीटर वाहन
8000 रुपये आठ सीटर वाहन
9500 रुपये 18 सीटर टेम्पो ट्रैवलर
14500 रुपये 26 सीटर ट्रैवलर
195 रुपये प्रति सीट नई एसी बस
125 रुपये प्रति सीट नॉन एसी बस.
ट्रैवेल्स एंड ट्रांसपोर्ट ओनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष पीयूष गुप्ता ने कहा है कि टैक्स बढ़ जाने से वाहन खरीदने में भी परेशानी होगी. लोग जीविकोपार्जन के लिए कर्ज लेकर किसी तरह डाउन पेमेंट भर का पैसा जुटा पाते हैं, टैक्स बढ़ेगा तो डाउन पेमेंट भी बढ़ जाएगा. इससे दिक्कत होगी. व्यावसायिक वाहनों की उम्र पांच साल ही हो पाती है. ग्राहक हमेशा नई गाड़ियों की डिमांड करते हैं. सरकार सड़कों की मरम्मत और अन्य सुविधाएं नहीं बढ़ा रही है, लेकिन टैक्स बढ़ाने की योजना बना दी गई है. संगठन के उपाध्यक्ष रवि आनंद का कहना है कि टैक्सी मालिकों को वर्तमान त्रैमासिक टैक्स व्यवस्था की सुविधा भी दी जाए. टैक्सी मलिक वन टाइम टैक्स जमा करना चाहें, वह जमा कर सकते हैं, लेकिन त्रैमासिक व्यवस्था का विकल्प चुनने की भी उन्हें छूट मिलनी चाहिए.