नई दिल्ली 28 अप्रैल। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय एक्सप्रेसवे और नेशनल हाईवे पर टोल वसूलने वाली एजेंसियों की छुट्टी करने की तैयारी कर रहा है. इस संबंध में बैंकों के साथ मीटिंग भी हो चुकी है और बैंक इस काम के लिए तैयार भी हो गए हैं. मंत्रालय इस मंथन में जुटा है कि टोल वसूली का बैंकों का मॉडल क्या होगा.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसर देश के 1.5 लाख किलोमीटर लंबे नेशनल हाइवे और एक्सप्रेसवे नेटवर्क में से करीब 45,000 किलोमीटर पर टोल वसूला जा रहा है. देशभर में 1063 टोल प्लाजा हैं.
मौजूदा समय देशभर में टोल वसूली का काम टोल एजेंसियां करती हैं. ये एजेंसियां स्थानीय स्तर पर कर्मचारियों को हायर कर लेती हैं और टोल वसूल करती हैं. टोल का शुल्क एनएचएआई और एक्सप्रेसवे निर्माण कंपनी को देगी,जो शर्तों में तय होता है. मंत्रालय इस मॉडल पर बड़ा बदलाव करने जा रहा है.
इस बदलाव के साथ टोल बैरियर हटाए जाएंगे, जिससे वाहन चालकों का समय बचेगा और ट्रैफिक में भी सुधार आएगा। पहले जहां GPS आधारित टोल वसूली की बात चल रही थी, अब मंत्रालय एएनपीआर तकनीक पर जोर दे रहा है। इसके जरिए गाड़ी की नंबर प्लेट को स्कैन कर स्वचालित रूप से टोल काटा जाएगा।
बैंक निभाएंगे अहम भूमिका
बैंकों को न केवल टोल वसूलने की जिम्मेदारी दी जाएगी, बल्कि वे हाई-टेक कैमरे और आवश्यक उपकरण भी इंस्टॉल करेंगे। टोल से वसूला गया पैसा पहले बैंक के पास जाएगा, जो बाद में उसे NHAI को ट्रांसफर करेगा। अभी यह तय किया जाना बाकी है कि बैंक कितने दिन तक यह राशि अपने पास रख सकेंगे।
कब लागू होगा नया मॉडल?
मंत्रालय इस पूरे प्रस्ताव पर मंथन कर रहा है और उम्मीद है कि जल्द ही इसका मॉडल फाइनल कर दिया जाएगा। इस कदम से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि हाईवे पर यात्रा करना भी पहले से ज्यादा सुगम और स्मार्ट हो जाएगा।