आजकल हर प्रकार के मीडिया मिलावट खोरी रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा छापे मारे जाने और सैंपल लेने की खबरें पढ़ने सुनने को मिल रही है। इनकी जांच का परिणाम जब तक आएगा नागरिकों के अनुसार तब तक त्योहार निपट चुके होंगे। सवाल यह उठते हैं कि सुरसा के मुंह की भांति 90 फीसदी वस्तुओं में जिस प्रकार से मिलावट बढ़ रही है और मिलावटखोर धनवान हो रहे हैं और उनके खिलाफ समय से कार्रवाई नहीं हो पाती इसके चलते मिलावट का खेल अब बढ़ता ही जा रहा है।
अभी तक 250 रूपये किलो का घी क्यों
अभी पिछले दिनों आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू ने तिरूपति मंदिर के लडडुओं में चर्बी मिले होने की बात कहकर पूरे देश में बवाल मचा दिया। पहले को उनके कथन को राजनीतिक आरोप बताकर दबाने की कोशिश की गई लेकिन जैसे जैसे इसकी परतें खुलती गई देशभर के मंदिरों में उपयोग होने वाले प्रसाद की जांच होनी लगी। कुछ ने प्रसाद के रूप में मिश्री मेवा देने की बात कही तो कुछ कह रहे हैं कि अब वो 250 रूपये किलो का घी अपने यहां उपयोग नहीं करेंगे। सवाल उठता है कि इस भाव में तो तेल भी नहीं मिलता देशी घी की बात तो दूर तो अब तक यह सब लोग क्या यह बात नहीं जानते थे और जानते थे तो इन वस्तुओं का उपयोग क्यों कर रहे थे यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है।
दूध की खपत कहा से पूरी हो रही
सवाल यह उठता है कि हमारे यहां दूध की खपत जिस मात्रा में होती है जानकारों के अनुसार उसका आधा उत्पादन भी नहीं होता और गर्मियों व शादियों के सीजन में इसकी खपत और बढ़ जाती है। तो यह दूध आता कहां से है। एक उच्च स्तरीय अभियान चलाकर बड़ी डेयरियों और दूध सप्लायरों के यहां जांच कर मिलावट को रोकने के लिए दूध का शादियों में उपयोग और हलवाईयों के यहां बिक्री क्यों नहीं रोकी जाती।
इंजेक्शन से बनी सब्जियों
साल भर में कभी ना कभी होेने वाले व्रत में जो सामग्री खायी जाती है उसमें भी मिलावट की बात खूब सुनने को मिलती है। मिर्च मसालों और सब्जियों में किस प्रकार इंजेक्शन लगाकर नागरिकों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। अदालत ने चीनी लहसुन की बिक्री पर रोक लगा दी है मगर कुछ लोगों का कहना है कि कुछ व्यापारी उसकी बिक्री आज भी कर रहे हैं। कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि आम आदमी के स्वास्थ्य और जीवन से खिलवाड़ करने में मिलावटखोरी बढ़ती ही जा रही है और मिलावट खोरों का हौंसला उससे भी ज्यादा बुलंद है। इसके पीछे कारणों की खोज नागरिकों को ही करनी है लेकिन सरकार ने जो अफसर तैनात किए हैं मेरा मानना है कि जिलोें में डीएम अगर खाद्य सुरक्षा विभाग में अफसरों की कमी है तो अन्य अधिकारियेां को लगाकर त्योहारों को ध्यान में रखते हुए छापे लगवाएं। और साल भर नियमित रूप से छापेमारी होनी चाहिए। कुछ लोग इसका विरोध करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। गत दिवस सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए और यूटयूब चैनल संवाद इंडिया द्वारा मिलावटखोरी और मिलावट करने वालों के खिलाफ अभियान चलाने हेतु संयुक्त प्रयास शुरू किया गया है जिसमें प्रशांत कौशिक और अंकित बिश्नोई मुख्य रूप से सक्रिय है। इस बारे में एक बैठक में कई निर्णय लिए गए जो अगर इस अपराध को रोक नहीं सकते तो उसमें कमी जरूर ला सकते है।
मिलावटखोरों की भी जाति नहीं होती
मेरा मानना है कि जिस प्रकार से अपराधियों की जाति नहीं होती उसी प्रकार से देशद्रोही और मानव स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले मिलावटखोरों की भी कोई जाति नहीं होती। इसलिए मिलावटखोरी का विरोध तो करें लेकिन किसी भी जाति के नाम का उपयोग ना किया जाए क्योंकि व्यापारी ठाकुर हो या दलित बनिया हो या जाट होता है। जिस प्रकार से पांचों अंगुली समान नहीं होती उसी प्रकार हर व्यापारी मिलावटखोर नहीं होता इसलिए मेरा मानना है कि युद्धस्तर पर अभियान चलाया जाए लेकिन सिर्फ मिलावटखोरों को दृष्टिगत रख यह काम हो। किसी समुदाय को बदनाम करने से इसमें रूकावट हो सकती है।
स्कूल-कॉलेजों व महिला संगठनों में चले जागरूकता अभियान
यह सभी जानते हैं कि कैंसर टीबी जानलेवा बीमारी मिलावटखोरी से हो रही है लेकिन हम उससे बचने के लिए जागरूकता अभियान के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं जहां तक मुझे लगता है कि स्कूल कॉलेजों में जागरूकता अभियान की शुरूआत करनी चाहिए क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने बच्चों की बात कम ही टालता है और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए बात मानी जाती है इसलिए स्कूलों और महिला संगठनों में जागरूकता सबसे बड़ी मांग है। इसमें आगे आकर प्रयास करना चाहिए। सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए और यूटयूब चैनल संवाद इंडिया इस अभियान की शुरूआत कर चुका है और उसमें समाजहित की सोचने वालों का सहयोग भी मिल रहा है। आओ अपने परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए हम भी इसमें योगदान करें। हम सभी सोशल मीडिया पर सक्रिय है। आप सभी उस पर लोगों से आग्रह करें कि मिलावटखोरों के प्रति जागरूकता लाने में सहयोग करे। अब समय आ गया है कि भगवान को दूध तो और ही चढ़ा लेंगे मैं पानी का लोटा चढ़ा आउं जैसी सोच से काम चलने वाला नहीं है। इस बारे में सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के अंकित बिश्नोई व संवाद इंडिया यूटयूब चैनल के प्रशांत कौशिक का प्रयास है सराहनीय। मेरा मत है कि अभियान तो चलाया जाए लेकिन चाय के ठेले वालों या ठेले वालों के सैंपल ना भरकर बड़े व्यापारियों पर ज्यादा ध्यान दिया जाए तो प्रभावकारी होगा।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अपने परिवार को मिलावट से होने वाली बीमारियों से बचाने हेतु आओ मिलावट खोरों को बेनकाब करें अभियान चलाकर, सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए व संवाद इंडिया का प्रयास है सराहनीय
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