asd जरूरतमंदों को घर उपलब्ध कराने के लिए योजनाओं में बने आवास रहने योग्य बनाकर पात्रों को करें आवंटित

जरूरतमंदों को घर उपलब्ध कराने के लिए योजनाओं में बने आवास रहने योग्य बनाकर पात्रों को करें आवंटित

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केंद्र और प्रदेशों में जब नई सरकारें आती हैं तो गरीबों को घर उपलब्ध कराने के लिए आवासीय योजनाएं शुरू होती हैं। अगर पुरानी भी सरकार आई तो वो अपनी पुरानी योजना को विस्तार देने की कोशिश करती है जिस पर आम आदमी को अपने बच्चों के साथ रहने योग्य जगह उपलब्ध हो सके। इस क्रम में यूपी में समाजवादी आवास योजना, कांशीराम आवास योजना, और प्रधानमंत्री आवास योजना आदि शुरू होती है। अगर ध्यान से देखें तो यह सरकार का एक सकारात्मक चुनाव पूर्व जनहित में घोषणाओं के तहत शुरू कदम कह सकते हैं। वो बात दूसरी है कि सत्ताधारी दल के समर्थक या जुगाड़ु लोग इन योजनाओं में घूसकर या प्राइवेट योजना शुरू कर मोटा माल कमाते रहे हैं। मगर जहां तक देखने को मिलता है। कही आवंटन में देरी तो कहीं इनका आवंटन करने वाले अफसरों की लापरवाही ज्यादातर योजनाओं में समय से आवास आवंटित नहीं हो पाते और पात्रों को मिलने से पूर्व जर्जर हालत में पहुंच जाते हैं। इस बारे में अगर देखें तो बसपा सरकार में मायावती द्वारा कांशीराम आवासीय योजना शुरू की गई और उस समय अफसरों ने इसे बनाने और बसाने के लिए ऐड़ी से चोटी का जोर लगा दिया। उस समय भी निर्माण व आवंटन को लेकर कई सवाल उठे। लेकिन नक्कारखाने में तूती के समान दबकर रहे गए। एक खबर के अनुसार गढ़ रोड पर अनूपशहर शाखा की नहर के पास आदि स्थानों पर बनाए गए कांशीराम योजना के आवास आवंटन ना होने के चलते यहां कूड़े के ढेर लगे हैं। जिसमें यह योजना लगभग दबकर रह गई। बताते हैं कि किठौर में कांशीराम आवास योजना के फलैट कम कूड़ा ज्यादा नजर आता है। जिनको इनमें मकान मिले वो गंदगी के कारण यहां बस नही पा रहे हैं। दूसरी तरफ अपात्रों को कांशीराम आवासीय योजना में जो कमान मिले उनमें से 152 आवंटियों ने उन्हें किराए पर उठा दिया। तथा 79 आवंटियों ने इन आवासों को बेच दिया। 346 आवासों में ताला लटका है। 325 आवासों का आवंटन होना है। मेरा मानना है कि वर्तमान सरकार और जनप्रतिनिधियों को यह भूलकर भी आवास कांशीराम के नाम पर बनी योजना में है या समाजवादी या प्रधानमंत्री योजना में इनमें व्याप्त गंदगी को साफ कराकर और जर्जर भवनों को ठीक कराकर पात्रों को आवंटित कराएं। जिन लोगों ने गलत तरीके से मकान आवंटित कराए हैं उन्हें निरस्त कर पात्रों को दिलाया जाए। जहां तक किराए पर देने की बात है तो यह कोई अपराध नहीं है। फिलहाल सबसे जरूरी है कि सरकार का भारी धन खर्च होकर जो भवन खाली पड़े हैं उनका आवंटन कराया जाए। एक चर्चा अनुसार रूड़की रोड पर शीलकुंज काॅलोनी के पीछे बसी वासु काॅलोनी में अभी भी कुछ भवन आवंटन का इंतजार कर रहे हैं। सही गलत देखना अफसरों का काम है। मुझे तो सिर्फ इतना कहना है कि जिले के प्रभारी मंत्री सांसद और विधायक व सपा बसपा के नेता जरूरतमंदों को घर दिलाने के साथ ही वहां सफाई आदि कराकर रहने लायक माहौल बनाएं जिससे इन मकानों का उपयोग हो सके।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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