कह कोई कुछ भी ले लेकिन पश्चिमी सभ्यता और चल रही वेब सीरीज ने हमारी भारतीय संस्कृति को हर क्षेत्र में धूमिल करने के साथ साथ युवा पीढ़ी को उसके विरूद्ध बोलने और चलने के लिए प्रेरित किया है। इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता। फिलहाल लायंसगेट प्ले ओटीटी प्लेटफार्म द्वारा किए गए एक शोध में खुलासा हुआ कि बिना बंधन के वैवाहिक जीवन का अनुभव चाहता है हर दूसरा युवक। दूसरी तरफ रिसर्च गेट संस्था ने ही लिव इन रिलेशनशिप पर अध्ययन किया है जिससे भारतीय युवा कई कारणों से लिव इन की तरफ आकर्षित हो रहे हैं तो कई मामलों में शहरी आधुनिकीकरण और शहरी जीवनशैली विशेष भूमिका निभा रही है। जिसके चलते वैवाहिक जीवन के बारे में युवाओं का मानना है कि लिव इन विवाह से पहले पूर्व अभ्यास है जिससे रिश्तों को लेकर अनुकूलता बनी रहे तो दूसरी ओर संस्कृति के फेरबदल वैश्वीकरण मीडिया से रिश्तों की अदला बदली हुईं लोग लिव इन से अवगत हुए। इनका मानना है कि निर्णय लेने की आजादी लिव इन में मिलती है तो निर्णयों में स्वायत्ता बनी रहती है। जिसमें आसानी से अलग होना आसान होता है। जबकि शादी में अलग होने में जटिल कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होती है जिससे हमारे युवा लिव इन को बेहतर मॉडल मान रहे हैं जिससे रिश्तों में उदारीकरण भारतीय युवाओं को आकर्षित कर रहा है।
यह शोध तो अब आया है। आज से कई साल पूर्व सपनों की नगरी मुंबई के एक स्कूल के छात्र छात्राओं का एक वैचारिक सर्वे छपा था जिसमें सबका मानना था कि जैसे हम हाथ मिलाते हैं ऐसे ही शरीरों का मिलन भी गलत नहीं है। वर्तमान में तो फिल्मों और टीवी सीरियलों के मुकाबले कई एपिसोड की वेब सीरीज ने भारतीय संस्कृति की व्यवस्था को तहस नहस करने की ठान रखी हैं और मजे की बात यह है कि देशभर में संस्कृति को बढ़ावा देने और भारतीय परंपरा की सोच वाली सरकार है। उसके बावजूद अप्राकृतिक यौन संबंधों खुले सेक्स हिंसा छेड़छाड़ आदि को बढ़ावा देने के साथ ही स्कूल कॉलेजों में जिस प्रकार से खुशी के साथ अपनी सहमति के साथ युवाओं को शारीरिक संबंध बनाते और लिपसिंग करते अप्राकृतिक संबंध बनाते दिखाया जाता है उसका सबसे ज्यादा असर युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है।
जहा तक मैं जानता हूं बचपन में छिपा छिपी और खेत खलिहानों में एक दूसरे से मिलने की बात सामने आती थी और लोग उस समय कच्चा कहे जाना वाला साहित्य पढ़ते थे जिससे सेक्स की भावनाएं बढ़ती और संतुलित होती थी मगर फिर डिवोनिद और फैंटासी जैसी पत्रिकाए आई जिन्होंने समाज को अश्लीलता परोसने के सारे रिकॉर्ड तोड़े लेकिन वह इतनी महंगी होती थी कि आम आदमी उसे खरीदने की स्थिति में नहीं होता था। फिर भी सरकार ने उस समय उस पर प्रतिबंध लगाया जिस पर तथाकथित साहित्याकारों ने स्वतंत्रता पर कुठाराघात कहकर विरोध किया। मगर इन वेब सीरीजों ने हिंसा बलात्कार अपहरण अप्राकृतिक संबंध बनाने और युवाओं के द्वारा शारीरिक संबंध स्थापित किए जाने का दृश्य दिखाने का रिकॉर्ड ही तोड़ दिया है और संस्कृति के प्रति नौजवानो मंे विद्रोह की भावना पैदा हो रही है। शोध में बताया गया है कि लिव इन में कई तरह की सुविधाएं युवाओं को दिखाई देती है मगर इस ओर ध्यान नहीं दिलाया कि इस व्यवस्था में रहने वाले कितने ही लोग मानसिक परेशानियों से मर जाते हैं या मार दिए जाते है। जितना इस सर्वे मेें बताया जा रहा है कि लिव इन में अलग होना वित्तीय व्यवस्था और शारीरिक संबंधों में मजबूती मिलती है मगर समाचारों के अनुसार इस संबंध में अलग होने पर अदालतों में कितने मुकदमे विचाराधीन हो सकते हैं। यह भी बताना चाहिए कि जहां तक वित्तीय व्यवस्था की बात है तो कई बार रहन सहन और खर्चों को लेकर मारपीट की जाती है इसलिए यह कहना कि यह वैवाहिक संबंधों से ठीक है को सही नहीं कहा जा सकता। यह बिल्कुल गलत विचार है। मेरा मानना है कि ऐसे शोध करने वाले प्लेटफार्म चाहे गेट हो या कोई और उसे विषय के हर बिंदु पर रिसर्च कर अपनी बात कहनी चाहिए क्योंकि इन्हें पढ़कर समाज में बिखराव और युवाओं में धोखे से संबंध बनाने और फिर अलग होने पर मानसिक अवसाद में जाने और कई तरह की बीमारियां झेलने की नौबत आती है। इसलिए सदियो से चली आ रही वैवाहिक परंपरा को गलत नहीं कह सकते। आज भी रिश्तों की गरिमा और शादी विवाह की जिम्मेदारी काफी प्रतिशत महिला पुरूष भगवान की एक अच्छी देन और समर्थ जीवन को आगे बढ़ाने का माध्यम मानते हैं।
मुझे लगता है कि अभी समय है। परंपरा और संस्कृति को बचाने की बात हाथ से नहीं निकली है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जो अभी तक अपने काम में असफल ही नजर आता है की कार्यप्रणााली पर अंकुश लगाते हुए आदरणीय पीएम मोदी को बलात्कार अप्राकृतिक संबंधों हिंसा लूट डकैती अपहरण की घटनाओं का प्रदर्शन करने वाली वेब सीरीजों को प्रतिबंधित करना चाहिए और परंपरा को बचाने हेतु उन्हें अनुमति नहीं देनी चाहिए। और अगर सरकार का अंकुश इन पर नहीं है तो संबंध से विरोध जताकर रोक लगाकर संस्कृति को बचाने और युवा पीढ़ी को बचाने का प्रयास करना चाहिए। डोर हाथ से निकल गई तो उसे समेटना संभव नहीं होगा।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
संस्कृति और परंपरा को बचाए रखने हेतु ? विवाह पूर्व शारीरिक संबंधों को अनुमति नहीं! वैवाहिक संबंधों से ज्यादा कठिन है लिव इन संबंधों को निभाना, अप्राकृतिक संबंधों, हिंसा बलात्कार को बढ़ावा देने वाली वेब सीरीज पर लगे रोक
0
Share.