जैसे जैसे नई नई बीमारियां बढ़ रही हैं वैसे वैसे नागरिकों को स्वस्थ रखने हेतु सरकार और विभिन्न संगठन नई नई खोज करने में लगे हुए हैं। इसी क्रम में स्वास्थ्य के लिए दालों की उपयोगिता से हर व्यक्ति को अवगत कराने हेतु 2018-19 में विश्व दलहन दिवस मनाने की शुरूआत की गई। और अब 2024 की थीम दालें पौष्टिक हैं यह बताने के लिए जगह जगह प्रयास हो रहे हैं। जैसा कि सभी जानते हैं कि उपयोगिता में अति हर चीज की बुरी होती है। वो व्यवस्था इस पर भी लागू होती है। इसलिए अगर आपका वजन 50 किलो है तो 45 से 50 ग्राम प्रोटीन जिसमें दालें भी शामिल है लें। एक कटोरी दाल में करीब दस ग्राम प्रोटीन पाया जाता है। देश में हर जगह अलग अलग प्रकार की दालें खाई जाती हैं। कहीं अरहर तो कही उड़द कही मसूर तो कही चना तो कही लोभिया की दाल भी उपयोग में लाई जाती हैं और यह सभी दालें तय सीमा में खाई जाए तो शरीर को सेहतमंद बनाने के साथ शुगर के मरीजों के लिए लाभदायक होती है। खासकर काले और सफेद उड़द की दाल और अरहर की दाल गैस बनाती हैं और बादी भी होती है। जबकि मसूर दाल में फाइबर और प्रोटीन की भरपूर मात्रा मिलती है और यह सभी पेट के रोगों को दूर करने में मदद करती है। विद्वानों का कहना है कि देश का सबका लोकप्रिय भोजन दाल चावल रोटी हर व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। लेकिन हम इनकी बजाय जो फास्ट फूड और अन्य पश्चिमी सभ्यता के खाद्य पदार्थ उपयोग करने लगे हैं और दाल चावल रोटी से दूरी बना रहे हैं यही परेशानी और हमारे खराब स्वास्थ्य और बढ़ती बीमारियां का कह सकते है। वैसे तो हम आज दलहन दिवस मना रहे हैं। लेकिन अगर दालों के साथ साथ हम मोटा अनाज चना बाजरा मक्का का भी उपयोग करें तो काफी बीमारियों से हम बच सकते हैं। मैं कोई डॉक्टर वैज्ञानिक तो हूं नहीं इसलिए अगर किसी को समस्या है तो चिकित्सक से राय लेने के बाद ही खाद्य साम्रगियों का उपयोग करें। आओ हर की आर्थिक स्थिति में सुधार अपनी और परिवार की खुशहाली और बिना कोई फालतू खर्च किए संकल्प ले कि कम से कम फास्ट फूड का उपयोग करेंगे और ज्यादा से ज्यादा दाल और मोटा अनाज तथा भारतीय खानों जो लाभकारी होते हैं उन्हें खुद भी अपनाएंगे और अन्य को भी प्रेरित करेंगे।
डायबिटीज को दूर रखने बीमारियों से बचे रहने को आओ दालों के संग मोटे अनाज का शुरू करें उपयोग
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