asd गरीबी और अमीरी की बढ़ती खाई को पाटने के लिए आर्थिक अपराधियों की संपत्ति हो जब्त

गरीबी और अमीरी की बढ़ती खाई को पाटने के लिए आर्थिक अपराधियों की संपत्ति हो जब्त

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सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद अमीरी गरीबी का अंतर बढ़ता ही जा रहा है। जिसे रोकना वक्त की सबसे बड़ी मांग और सामाजिक संतुलन के लिए जरूरी है। इस बारे में एक खबर के अनुसार दुनिया के सबसे अमीर एक फीसदी लोगों की संपत्ति में 2015 से अब तक 33.9 लाख करोड़ डॉलर का इजाफा हुआ है। यह रकम इतनी ज्यादा है कि दुनिया से गरीबी को 22 बार खत्म किया जा सकता है। इनके पास अब वैश्विक संपत्ति का 43 प्रतिशत हिस्सा है।
यह खुलासा अंतरराष्ट्रीय संस्था ऑक्सफैम ने अपनी नई रिपोर्ट में किया है। इसके मुताबिक, अकेले तीन हजार अरबपतियों के पास ही इतनी संपत्ति है, जो वैश्विक जीडीपी के 14.6 प्रतिशत के बराबर है। इन तीन हजार अरबपतियों की संपत्ति में पिछले दशक में 6.5 लाख करोड़ डॉलर का इजाफा हुआ है। इस बीच, ऑक्सफैम ने चेतावनी दी है कि वैश्विक विकास के लक्ष्य बुरी तरह पटरी से उतर चुके हैं। दुनिया की करीब 3.7 अरब आबादी आज भी गरीबी रेखा के नीचे जिंदगी जी रही है। अमीर और गरीब के बीच की खाई तेजी से बढ़ रही है।
यह सर्वे मई-जून 2025 के दौरान 13 देशों में किया गया, जिनमें भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील, जर्मनी और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। भारत में 1200 लोगों से इस पर सवाल किए गए। हालांकि, रिपोर्ट में किसी भी अमीर शख्स की व्यक्तिगत संपत्ति का उल्लेख नहीं किया गया है।
निजी संपत्ति सार्वजनिक से ज्यादा: रिपोर्ट के मुताबिक, 1995 से 2023 के बीच वैश्विक निजी संपत्ति में 342 लाख करोड़ डॉलर की वृद्धि हुई। वहीं, सार्वजनिक संपत्ति सिर्फ 44 लाख करोड़ डॉलर बढ़ी। इसका मतलब है कि निजी संपत्ति की रफ्तार सार्वजनिक संपत्ति से आठ गुना ज्यादा रही।
90 प्रतिशत लोग बोले, अमीरों पर बढ़े टैक्स:
ऑक्सफैम और ग्रीनपीस के एक अंतरराष्ट्रीय सर्वे में यह बात सामने आई कि दुनिया के 10 में से नौ लोग चाहते हैं कि सरकारें अमीरों पर टैक्स लगाकर सार्वजनिक सेवाओं और जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में पैसा लगाएं।
यह ऐसी समस्या है जिसका नागरिकों के हित में अवश्य होना चाहिए क्योंकि गरीब अमीर का अंतर ऐसे ही बढ़ता रहा तो कई समस्याएं खड़ी हो सकती है लेकिन अमीरों पर टैक्स बढ़ाने का सुझाव सही नहीं कहा जा सकता। जो ईमानदारी से टैक्स भरते हैं उन्हें परेशान ना किया जाए और पिछले कुछ दशक में जो आर्थिक अपराधियों की श्रेणी में आने वाले भूमाफिया मिलावटखोरी से रईश बने हैं उनकी संपत्ति की जांच कराकर इन पर टैक्स बढ़ाने के साथ ही यह सिद्ध हो जाता है कि इन्होंने गलत तरीके से पैसा कमाया है तो इनकी संपत्ति जब्त की जाए। गरीबी की रेखा से निकलकर कितने ही लोग सौ सौ करोड़ की कंपनी के मालिक बने है। अगर उनसे जबरन टैक्स वसूला जाएगा तो युवाओं पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। सरकार इस बारे में सोच समझकर निर्णय ले जिससे गरीबों को सुविधा मिले और ईमानदारी से आगे बढ़ने वालों को परेशानी ना हो। एक बात जरूर कहना चाहता हूं कि सरकारी योजनाओं का पात्रों तक लाभ ना पहुंचने देने वालों की समीक्षा की जाए और कार्रवाई की जाए जिससे गरीबों के हित पर कुठाराघात ना हो सके।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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