कांग्रेस की घटती ताकत और बिखरते जनाधार को समेटने हेतु पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे आदि वरिष्ठ नेताओं के सहयोग से पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी नेता प्रियंका गांधी के साथ हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। सांसद राहुल गांधी ने तो बीते वर्ष और इस साल के शुरू में भी देशभर की पैदल भारत जोड़ो यात्रा कर माहौल भी बनाया। जिसका असर भी 2024 के लोकसभा चुनाव में नजर आ रहा है। पार्टी के कितने उम्मीदवार जीतेंगे। गठबंधन की स्थिति क्या रहेगी यह तो समय ही बताएगा लेकिन बिना जनाधार वाले कुछ स्वयंभू नेताओं की आपसी लड़ाई और एक दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवृति के चलते कई प्रमुख नेता और कार्यकर्ताओं के पार्टी छोड़ने से पैदा हो रही परिस्थितियों को संभालने में लगे नेताओं के समक्ष कुछ बड़बोले नेता परेशानियां खड़ी करने में चूक नहीं रहे हैं।
इसके जीते जागते उदाहरण के रूप में राजीव गांधी के सलाहकार रहे और वर्तमान में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रौदा द्वारा बीते दिनों विदेश में बैठकर विरासत संबंधी बयान देकर एक बार पुनः इस पार्टी के समक्ष परेशानियां खड़ी कर दी गई है। खबर के अनुसार 1985 में राजीव गांधी सरकार ने ही भारत में संपदा कर समाप्त किया था। लेकिन अब अमेरिका की तर्ज पर भारत में भी विरासत कर लागू किए जाने की बात कहकर सैम पित्रौदा ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को विवादों में फंसाने की कोशिश की ही है। पार्टी को भी मुसीबत में घेर दिया है। मैं कोई बहुत बड़ा विद्वान तो हूं नहीं और ना ही इस बारे में ज्यादा ज्ञान है लेकिन जो दिखाई दे रहा है उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि पित्रौदा जैसे नेताओं के बयानों से कांग्रेस के समक्ष आए दिन नई नई मुसीबतें खड़ी हो रही है। मुझे लगता है कि अभी लोकसभा के कई चरण के चुनाव होने हैं। और जो हो चुके हैं। उनमें भी कोई बहुत खराब खबर विपक्षी उम्मीदवारों के बारे में नहीं है। आगे स्थिति ऐसी बनी रहे इसके लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे और सोनिया गांधी को मतदान हो जाने तक बयानवीरों के होठों पर लगानी चाहिए टेप जिससे इनकी जबान बंद रहे और पार्टी अनचाही मुसीबतों से बची रहे।
बिन बुलाए मुसीबत से बचने हेतु पित्रौदा जैसे बयानवीरों के होठों पर लगाई जाए टेप
0
Share.