बीमारियों के इलाज में भारी धन खर्च करने के भी लाभ हो पाएगा वर्तमान में यह विश्वास के साथ नहीं कहा जा सकता। क्योंकि देश की कुछ बड़ी दवा कंपनियों के नाम पर नकली दवाईयां बेची जा रही हैं। ऐसी खबरें पढ़ने सुनने को मिल चुकी है। औद्यधि नियंत्रण विभाग को जितनी मेहनत करनी चाहिए वो करता नहीं। इसलिए यह कारोबार बढ़ता जा रहा है। बताते हैं कि पिछले कुछ समय में बिहार हिमाचल और महाराष्ट्र की कंपनी मंें नकली दवा पकड़ी गई। यह 70 देशों में आपूर्ति की जा रही थी। दुकानदारों और फैक्ट्री संचालकों पर केस दर्ज हुए। यह इतना बढ़ा कारोबार है कि जब तक कोई कड़ा कानून नहीं बनाया जाएगा यह सुधरने वाले नहीं है। यह महंगी नकली दवा भी बड़ी कंपनियों की पैकिंग में होती है। बीच में एक शब्दो शब्दों का फर्क कर दिया जाता है जिससे आम आदमी इसे पकड़ नहीं पाता। दुकानदार ज्यादा मुनाफे के चक्कर में चुप रहता है। मुझे लगता है कि अगर सरकार दवा कंपनियों द्वारा कुछ डॉक्टरों का दिए जाने वाले फ्री टूर और उपहारों पर रोक लगा दें तो दवाईयां सस्ती हो सकती है और नकली का प्रचलन कम होगा। आम आदमी अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त कर पाएगा। बाकी अगर सरकार दवा कंपनियों को मजबूर करे कि वहां जैनेरिक दवाईयां बने और बेची जाएं तो धीरे धीरे सभी डॉक्टर भी उसे अपनाने लगेंगे। पिछले दिनों पहली बार जैनेरिक दवाई ली। उन्होंने पूरा लाभ पहुंचाया और यह महसूस नहीं हुआ कि हम सस्ती दवाएं खा रहे हैं। मुझे लगता है कि सरकार हर शहर में जनसंख्या के हिसाब से हजारों स्टोर खुलवा दे तो आम आदमी को रोजगार मिलेगा और लोग इन्हें अपनाने लगेंगे और जब ऐसा होगा तो डॉक्टर भी इन्हें लिखने में पीछे नहीं रहेंगे। दवाई कंपनी भी सरकारी नीति के तहत गुणवत्तापूर्ण दवाईयों का उत्पादन करेंगी।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
नकली और महंगी दवाओं से बचने के लिए जेनेरिक दवाई अपनाएं, धीरे धीरे डॉक्टर भी लिखने लगेंगे पीएम की दवाई
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