तिरुमाला 06 फरवरी। आंध्र प्रदेश के तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ( टीटीडी) ने मंदिर के 18 कर्मचारियों को हटाने की तैयारी कर ली है। इन सभी को टीटीडी के नियमों के खिलाफ जाकर काम करने का दोषी पाया गया है।
इसके मैनेजमेंट से जुड़े कई संस्थानों में काम करने वाले 18 कर्मचारियों में व्याख्याता, छात्रावास कार्यकर्ता, कार्यालय अधीनस्थ, इंजीनियर, सहायक, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ जैसे अलग-अलग पदों पर लोग शामिल थे. इन सभी कर्मचारियों को सभी धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने से मना कर दिया गया है.
ट्रस्ट ने सभी 18 कर्मचारियों के सामने दो शर्तें रखी हैं, या तो सभी किसी दूसरे सरकारी विभाग में ट्रांसफर ले लें या फिर वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले लें। ऐसा मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए किया जा रहा है। टीटीडी 12 मंदिरों का रखरखाव करता है। इसमें 14 हजार से कर्मचारी काम करते हैं।
टीटीडी ने बयान में कहा- यह कार्रवाई टीटीडी अध्यक्ष बीआर नायडू के निर्देश पर की गई। संस्थान में काम के दौरान गैर-हिंदू धार्मिक प्रथा फॉलो करने वाले 18 कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लिया गया है। ये सभी टीटीडी में काम करने के बावजूद गैर-हिंदू धार्मिक परंपराओं को फॉलो कर रहे हैं। अब इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
टीटीडी अध्यक्ष नायडू ने कहा- हमने कुछ टीटीडी कर्मचारियों की पहचान की, जो गैर-हिंदू हैं। इन लोगों से वीआरएस लेने का अनुरोध किया जाएगा। अगर वे इसके लिए राजी नहीं होते हैं तो उन्हें राजस्व, नगर पालिका या किसी निगम जैसे सरकारी विभागों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। मैंने 4 फरवरी को बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।
तिरुमला में पॉलिटिकल बयानों पर रोक लगाने वाला प्रस्ताव भी बोर्ड मीटिंग में पारित किया गया। इसमें कहा गया है कि टीटीडी नियमों का उल्लंघन करने वालों के साथ-साथ पॉलिटिकल पार्टियों का प्रचार करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इसके लिए 1989 में जारी एक सरकारी आदेश के तहत यह स्पष्ट किया गया था कि टीटीडी की तरफ से संचालित पदों पर नियुक्तियां केवल हिंदू धर्म के अनुयायी ही कर सकते हैं. यह आदेश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 (5) के तहत वैध है, जो धार्मिक संस्थानों को अपने धर्म के अनुयायियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है.