1980 के दशक में किसान नेता चौधरी चरण सिंह के बाद भाकियू के नेता के रूप में बाबा महेंद्र सिंह टिकैत द्वारा मेरठ के जाफरवाला बाग में जब डेरा डाला और वहां जुटी अपार भीड़ को देखकर एक बार को सबके चेहरों पर परेशानी झलकने लगी कि इन्हें कैसे संभाला जाएगा। उस समय के डीएम विजय वर्मा और क्षेत्र के किसान नेताओं और महेंद्र सिंह टिकैत के अनुशासन के चलते कई दिन तक धरना चला लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। तब नाम दिया गया बाबा किसानों का महात्मा गांधी है। तब से आज तक भाकियू का जनाधार और उसकी व्यवस्थाएं मजबूत होती रही हैं। आम आदमी के दृष्टिकोण से भाकियू के वर्तमान नेता राकेश टिकैत और नरेश टिकैत द्वारा किए जाने वाले आंदोलनों से आवागमन में होने वाली परेशाानियों को अगर छोड़ दें तो दोनों भाकियू नेता प्रतिदिन आम आदमी से जुड़ रहे हैं। देश में हर आदमी को बोलने का अधिकार प्राप्त है तो फिर राकेश टिकैत या नरेश टिकैत यह बहुत बड़े वर्ग की आवाज कहे जाते हैं। ऐसे में प्रदेश की कानून व्यवस्था बनी रहे और विवाद उत्पन्न ना हो इसलिए किसी भी व्यक्ति को इनके बारे में गलत बयान नहीं देने चाहिए और ना ही सोचना चाहिए। क्योंकि पूर्व में क्या रहा वो अलग बात है। वर्तमान में यह जनता की आवाज है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
भाकियू के टिकैत बंधु हैं जनता की आवाज, इनके बारे में गलत बोलना सोचना सही नहीं
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