asd शुगर फ्री आलू का प्रचार करने वालों को आम आदमी के हित में भेजा जाए जेल

शुगर फ्री आलू का प्रचार करने वालों को आम आदमी के हित में भेजा जाए जेल

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ऐसी कोई सब्जी नहीं जिसमें आलू ना समा सके। यह एक ऐसा नाम है जो हमें अत्यंत प्रिय और स्वाद सहित है जिसे हर जगह उपयोग में लाया जा सकता है जिस प्रकार दूध में पानी का पता नहीं चलता उसी प्रकार जब यह किसी सब्जी के साथ मिल जाता है तो इसका स्वाद और बढ़ जाता है। इस समय देश में आलू की 76 वेरायटी पैदा की जा रही है। कुछ लोग 100 किस्म होने का भी दावा करते हैं लेकिन इसके तथ्य नहीं है। आज हम 2024 के शुरूआत में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा घोषित विश्व आलू दिवस मना रहे हैं। इसका उददेश्य आलू की खेती को बढ़ावा देना विशेष रूप से हैं। एक खबर के अनुसार कुफरी जमुनिया कुफरी चिपसोना कुफरी सूर्या आदि प्रजाति का आलू लो शुगर है। लेकिन कुछ लोगों द्वारा जो अपने आलू उत्पादन को इसके मरीजों के लिए लाभदायक बताकर शुगर फ्री बताया जाता है वो दावा वैज्ञानिकों के अनुसार भ्रामक है। पश्चिमी उप्र के किसानों द्वारा बीज आलू को भी एक व्यवसाय के रूप में अपनाया जा रहा है जिसमें 22 से ज्यादा किस्मों का वादा किया गया है। मेरा मानना है कि दुनिया में शुगर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। कुछ लोग योग आदि अपनाकर इसे संतुलित रखते हैं तो कुछ दवाईया खाकर। लेकिन यह प्रचार शुगर फ्री आलू का भ्रामक दावा करने वाले शुगर मरीजों के दुश्मन कहे जा सकते हैं क्योंकि आलू हर कोई खाना चाहता है और इसके प्रचार की सच्चाई जाने बिना शुगर मरीज आलू का उपयोग करने लगते हैं। ऐेसे में मरीजों को नुकसान होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। मेरी केंद्र व प्रदेश सरकार से मांग है कि खाद्य सामग्रियों के साथ ही आलू के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जाए लेकिन शुगर फ्री होने का झूठा दावा करने वालों के लिए सजा का प्रावधान कर इन्हें जेलों में डाला जाए क्योंकि इनके कारण कितने ही लोगों के अंग भंग हो सकते हैं। कई बैंकुंठ लोक के सिधारने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। वैसे भी सरकार की नीति है कि भ्रामक प्रचार उपभोक्ताओं के आकर्षित करने के लिए खाद्य सामग्री का नहीं किया जाना चाहिए लेकिन यह शुगर फ्री आलू का भ्रामक दावा कर मरीजों की संख्या बढ़ाने और उन्हें नुकसान पहुंचाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए सरकार इन पर कार्रवाई करे। और शुगर फ्री आलू के प्रचार पर लगाए रोक।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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