कोच्चि 26 अगस्त। केरल हाईकोर्ट ने वायनाड भूस्खलन के पीड़ितों को मिली मुआवजे की राशि से बैंकों की ईएमआई काटने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि लोगों में संवेदना खत्म हो चुकी है हम घटना के मानवीय पहलू से चूक रहे हैं। त्रासदी के पहले हफ्ते में सब रोते हैं। फिर अगले हफ्ते ऐसी हरकतें करते हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि वायनाड में गत 30 जुलाई को भूस्खलन की जो घटना हुई, उसके संकेत तो बहुत पहले से मिलने लगे थे, लेकिन राज्य को समृद्धि की राह पर ले जाने के नाम पर विकास का एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए इन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। कोर्ट ने वायनाड त्रासदी में सैकड़ों लोगों की मीत को उदासीनता और लालच की इन्सानी प्रवृत्ति पर प्रकृति का करारा जवाब करार दिया
वायनाड त्रासदी मामले पर स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और जस्टिस श्याम कुमार वीएम की खंडपीठ ने कहा, 2018 और 2019 में आई प्राकृतिक आपदाओं, करीब दो वर्ष तक दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाली महामारी और भूस्खलन की हालिया घटनाओं ने कहीं न कहीं यही दर्शाया है कि हमारे तरीकों में त्रुटि है।
….तो हो जाएगी बहुत देर
पीठ ने कहा, अगर हम अपने तौर-तरीके नहीं सुधारते और इस समस्या से निपटने के लिए सकारात्मक कदम नहीं उठाते हैं, वो शायद बहुत देर हो जाएगी। अदालत ने आदेश में कहा कि केरल में सतत विकास संबंधी मौजूदा धारणाओं पर आत्मनिरीक्षण और अपनी नीतियों पर पुनर्विचार के लिए राज्य सरकार को राजी करने के उद्देश्य से ही उसने मामले पर सुनवाई शुरू की है। अदालत प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, पर्यावरण, वनों और वन्यजीवों के संरक्षण, प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम की मौजूदा नीतियों की समीक्षा करेगी।
केंद्र व राज्य से पूछा- क्या कदम उठाए
केरल सरकार को हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और क्या राज्य में प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएमए) 2005 के तहत अनिवार्य विषय विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव हैं।
पहल को 3 चरण में आगे बढ़ाएगा कोर्ट
■ पहले चरण में पारिस्थितिकीय लिहाज से राज्य के संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान के तरीके के बारे में वैज्ञानिक डाटा जुटाया जाएगा। फिर उन्हें जिलेवार पहचान कर अधिसूचित करने की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा। हाईकोर्ट बायनाड में पुनर्वास और पुनर्निर्माण प्रयासों की साप्ताहिक निगरानी भी करेगा।
■ दूसरे चरण में इस पर डाटा जुटाया जाएगा कि विनियामक एजेंसियों और सलाहकार बोडों की संरचना कैसी होनी चाहिए, ताकि ऐसी एजेंसियां और बोर्ड उन उद्देश्यों को हासिल करने में प्रभावी ढंग से काम कर सकें, जिनके लिए उनका गठन किया गया है। इसे राज्य सरकार के विचारार्थ भेजा जाएगा।
■ तीसरे चरण में राज्य के स्थानीय स्वशासन विभाग के माध्यम से पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से डाटा एकत्र करने का प्रस्ताव है, ताकि राज्य बुनियादी ढांचे के विकास, पर्यटन, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और पर्यावरण संरक्षण पर नीतियों को फिर से तैयार कर सके।