asd जिनको नहीं दिखती अल्पसंख्यकों की समस्या, उनकी आंखों में मोतियाबिंद: राजभर

जिनको नहीं दिखती अल्पसंख्यकों की समस्या, उनकी आंखों में मोतियाबिंद: राजभर

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लखनऊ 12 दिसंबर। ‘तूने चाहा ही नहीं वरना हालात बदल सकते थे, तुम तो ठहरे झील के पानी की तरह दरिया बनते तो बहुत दूर निकल सकते थे’ इन पंक्तियों के साथ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने मुस्लिमों की रहनुमाई का दावा करने वाली कांग्रेस, सपा और बसपा पर निशाना साधा। वहीं मुस्लिमों को उनके पिछड़ेपन के लिए इन दलों को जिम्मेदार ठहराते हुए चेता भी दिया। राजभर ने सरकार के उन अधिकारियों को भी आड़े हाथों लिया, जो अल्पसंख्यकों की समस्याओं को दूर करने में लापरवाही बरत रहे हैं। कहा कि जिन अधिकारियों को अल्पसंख्यकों की समस्याएं नहीं दिखती, उनकी आंखों में मोतियाबिंद है। इसका ऑपरेशन किया जाएगा।

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित आल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के प्रांतीय सम्मेलन में मंत्री ने तंज कसते हुए कहा कि विधानसभा में सभी 403 विधायकों की हिम्मत नहीं है कि वह मुसलमानों की सही बात बोल सकें। मैं बोलने के लिए आजाद हूं। राजभर ने कहा कि आजादी के समय नौकरियों में मुसलमानों की संख्या 38 प्रतिशत थी। आपने (मुसलमानों ने) आजादी के लिए नहीं कांग्रेस के लिए लड़ा। उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में तीन जातियां मुसलमान, वंचित और अहीर परेशान हैं।
उन्होंने कहा कि तीनों जातियों को तीन पार्टियों (कांग्रेस, सपा, बसपा) ने नफरत सीखा दिया है। इन दलों ने मुसलमानों में नफरत बढ़ाकर वोट तो ले लिया जब बेहतरी के लिए काम करना था तो झोला थमा दिया।

राजभर ने आगे कहा कि मुसलमान हजरत मोहम्मद को मानते तो हैं लेकिन उनके बताए रास्ते पर नहीं चलते हैं। उन्होंने सिखाया था कि मजलूम की मदद करो। हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति बनाने वाले अखिलेश, सोनिया और मायावती कौन से मजलूम हैं ?
राजभर ने यह भी कहा कि सांसद अफजाल अंसारी मेरे मित्र हैं। मैंने एक दिन चाय पर उनसे कह ही दिया कि साइकिल तू चलावा। राजभर ने इशारों में अफजाल अंसारी को मुसलमानों का नेतृत्व करने की बात कही।

संगठन के महामंत्री वहीदुल्ला खान सईदी ने 30 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि मदरसों को भाषा विश्वविद्यालय से संबद्ध करवाया जाए। विधानपरिषद सदस्य और माध्यमिक शिक्षक संघ के संरक्षक राज बहादुर सिंह चंदेल ने कहा कि अरबी-फारसी के शिक्षकों और विद्यार्थियों की समस्याओं पर सकारात्मक प्रयास समय की जरूरत है। डॉ. इफ्तियार अहमद जावेद ने कहा कि पिछले तीन सालों से मदरसों में सिर्फ जांच हो रही है और आज तक कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई।

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