asd वोट डालने पर छूट देने वाले बाज आएं अपनी घोषणाओं से, हम मतदान किसी लालच में नहीं राष्ट्रभक्ति की भावना से करते हैं, एक वोट से हार गए नेताजी ?

वोट डालने पर छूट देने वाले बाज आएं अपनी घोषणाओं से, हम मतदान किसी लालच में नहीं राष्ट्रभक्ति की भावना से करते हैं, एक वोट से हार गए नेताजी ?

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देश के सबसे बड़े सदन लोकसभा के चुनाव की सरगर्मियां धीरे धीरे चरम पर पहुंुच रही है। आज दूसरे चरण का चुनाव प्रचार समाप्त हुआ। 26 तारीख को मतदाता अपने मतदान का उपयोग करेगा यह बात विश्वास से कही जा सकती है। क्योंकि जब से होश संभाला ऐसा ही देखते चले आ रहे है। भारत निर्वाचन आयोग और जिलों के निर्वाचन अधिकारी जागरूक नागरिक शैक्षिक सामाजिक संगठनों के लोग मतदान की संख्या बढ़ाने और हर व्यक्ति को वोट देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसका असर भी दिखाई दे रहा है। क्योंकि पूर्व में एक वर्ग को लेकर कहा जाता था कि यह वोट नहीं डालते या घूमने चले जाते हैं। मैं यह तो नहीं कहता कि यह लापरवाही और उदासीनता पूरी तौर पर समाप्त हो गई हो लेकिन यह बातें अब कम ही सुनने को मिलती है। क्योंकि ज्यादातर मतदाता अपने वोट की ताकत समझ चुका है। इस बारे में एक किस्सा बड़़ा प्रचलित है। एक नेताजी चुनाव लड़ रहे थे। कार्यकर्ताओं और सहयोगियों को वोट डालने के लिए जागरूक कर अपने घर पहुंचे। ड्राइवर ने कहा कि मैं भी वोट डाल आउं तो नेताजी ने कहा कि तेरे एक वोट से मैं कौन सा चुनाव हार या जीत जाउंगा। परिणाम आया तो नेताजी एक वोट से चुनाव हार गए। यह किस्सा हमें प्रेरित करता है कि एक वोट अमूल्य हैं और एक वोट से हार जीत भी हो सकती है। इसलिए आओ पहले मतदान फिर जलपान की भावना खुद में भी जागृत करो और औरों में भी। लगभग 48 घंटे बाद मतदान शुरू होना है। समय बहुत कम है इसलिए कल को यह कहना ना पड़े कि हमारा नेता सही नहीं है काम नहीं करता इसलिए आओ अपने की सरकार बनाने हेतु पसंद के उम्मीदवार को जिताए अथवा उसे इतने वोट जरूर दें कि विपक्ष में भी रहे तो हमारी समस्याओं के समाधान को लगा रहे।
वर्तमान समय में कुछ डॉक्टर और होटल वाले घोषणा कर रहे हैं कि जो वोट डालकर आएगा और अंगुली पर लगी स्याही दिखाएगा उसे खाने में और देखने में छूट दी जाएगी। ऐसे महादानियों से मेरा आग्रह है कि वो इस प्रकार की घोषणा कर मतदाताओं को अपमान ना करें क्योंकि लोकतंत्र के सबसे बड़े इस पर्व में कोई खाने पर छूट या डाक्टर की फीस में राहत के लिए मतदान करने नहीं जाएगा। सब अपनी मर्जी से मतदान करेंगे। दूसरी तरफ आजतक छूट देने की घोषणा करने वालों ने कभी यह स्पष्ट नहीं किया कि कितनी और कब तक छूट देंगे। पूर्व में उन्होंने कितने लोगों को कितने दिनों तक छूट दी।
भाईयों अब हम इतने भी लाचार नहीं है कि किसी के राहत देने की घोषणा पर वोट डालने जाए। यह तो हमारी जीवन से संबंध मुददा हैं राष्ट्र की एकता अखंडता और विकास की सारी ताकत इस एक वोट के दम पर ही आगे चलकर होगी। इसलिए किसी की छूट की हमें आवश्यकता नहीं हैं अपने मन की आवाज पर हम वोट देने जाएंगे किसी के लालच पर नहीं। छूट देने वाले समझ लें कि जिन्हंे अगर किसी वजह से ऐसी आवश्यकता हो सकती है तो वो इन बड़े होटलों में खाना खाने और नामचीन डॉक्टरों के पास नहीं जाते जाते और जो जाते हैं उन्हें ऐसी छूट की आवश्यकता नहीं है। वह और दस बीस लोगों को खाना खिला सकते हैं।

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