asd दरगाह नहीं ये महाभारत काल का लाक्षागृह, मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज – tazzakhabar.com
Date: 13/03/2025, Time:

दरगाह नहीं ये महाभारत काल का लाक्षागृह, मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज

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बागपत 05 फरवरी। ‘यह दरगाह नहीं, महाभारतकालीन लाक्षागृह है। ‘ बागपत स्थित बदरुद्दीन शाह की मजार मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 100 बीघा जमीन का फैसला हिंदुओं के पक्ष में सुनाया है। लंबे समय से यह मामला कोर्ट में था। ज्ञानवापी केस के बाद हिंदुओं को एक और मामले में बड़ी सफलता मिली है। उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित बदरुद्दीन शाह की मजार और लाक्षागृह विवाद में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। एडीजे कोर्ट ने इस मामले में 100 बीघा जमीन हिंदू पक्ष को सौंप दी है। वर्ष 1970 से इस मामले में केस चल रहा था। करीब 54 सालों के बाद इस केस में कोर्ट का फैसला आया है।

करीब 54 वर्षों के बाद कोर्ट की सुनवाई पिछले साल शुरू हुई थी। वर्ष 1970 से इस मामले की सुनवाई चल रही है। बागपत डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट में सिविल जज जूनियर डिवीजन प्रथम की कोर्ट मंगलवार को इस लंबे समय से चल रहे मामले पर फैसले की उम्मीद की जा रही थी। इस फैसले पर हिंदू एवं मुस्लिम दोनों पक्षों की नजरें टिकी हुई थी। कोर्ट ने अब इस मामले में अपना फैसला सुना दिया है। लाक्षागृह टीले को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच पिछले 54 सालों से विवाद चल रहा था। बताया जाता है कि वर्ष 1970 में मेरठ के सरधना की कोर्ट में बरनावा निवासी मुकीम खान ने वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी की हैसियत से एक केस दायर कराया था।

लाक्षागृह गुरुकुल के संस्थापक ब्रह्मचारी कृष्णदत्त महाराज को प्रतिवादी बनाते हुए दावा किया था कि बरनावा स्थित लाक्षागृह टीले पर शेख बदरुद्दीन की मजार और एक बड़ा कब्रिस्तान मौजूद है। वक्फ बोर्ड का इस पर अधिकार है। उन्होंने आरोप लगाया गया कि कृष्णदत्त महाराज बाहर के रहने वाले हैं, जो कब्रिस्तान को खत्म करके यहां हिंदुओं का तीर्थ बनाना चाहते हैं। इसमें मुकीम खान और कृष्णदत्त महाराज फिलहाल दोनों ही लोगों का निधन हो चुका है। दोनों पक्ष से अन्य लोग ही वाद की पैरवी कर रहे हैं।

मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यहां उनके बदरुद्दीन नामक संत की मजार थी। इसे बाद में हटा दिया गया। यहां उनका कब्रिस्तान है।

बरनावा के लाक्षागृह स्थित संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य आचार्य अरविंद कुमार शास्त्री का कहना है कि यह एतिहासिक टीला महाभारत कालीन लाक्षाग्रह है। यहां सुरंग व अन्य अवशेष इसका प्रमाण हैं। इसके सभी साक्ष्य कोर्ट में पैरवी कर रही गांधी धाम समिति के पदाधिकारियों ने दिए हुए थे।
गांधी धाम समिति के वकील रणवीर सिंह तोमर ने बताया कि उनकी तरफ से सभी साक्ष्य कोर्ट में दिए हुए थे।

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