नई दिल्ली 09 मई। गर्मी बढ़ती जा रही है. लोगों का हाल बुरा हो गया है. अभी तो ये शुरुआत है और आने वाले महीनों में लोगों को इससे कोई राहत नहीं मिलने वाली है. बुधवार को जारी नए आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अप्रैल की गर्मी ने भारत ही नहीं, पूरी दुनिया का पसीना निकाल दिया. पूरी दुनिया में अप्रैल महीने में इतनी गर्मी कभी नहीं पड़ी थी.यूरोपीय संघ की जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने कहा, यह रिकॉर्ड-उच्च तापमान का लगातार 11वां महीना था, जो अब कमजोर हो रहे अल नीनो और जलवायु परिवर्तन के संयुक्त प्रभाव का परिणाम है.
अप्रैल में औसत तापमान 15.03 डिग्री सेल्सियस रहा, जो 1850-1900 के महीने के औसत से 1.58 डिग्री सेल्सियस अधिक था. यह अप्रैल के लिए 1991-2020 के औसत से 0.67 डिग्री सेल्सियस अधिक था. सी3एस के निदेशक कार्लो बूनटेम्पो ने कहा, वर्ष की शुरुआत में अल नीनो चरम पर था. हालांकि, अल नीनो जैसे प्राकृतिक चक्रों से जुड़े तापमान में बदलाव आते-जाते रहते हैं.
जलवायु एजेंसी ने कहा कि पिछले 12 महीनों (मई 2023-अप्रैल 2024) में वैश्विक औसत तापमान सबसे अधिक दर्ज किया गया है, जो 1991-2020 के औसत से 0.73 डिग्री सेल्सियस अधिक और 1850-1900 के औसत से 1.61 डिग्री सेल्सियस अधिक है. सी3एस के अनुसार, वैश्विक औसत तापमान जनवरी में पहली बार पूरे वर्ष के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर गया.
जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए देशों को वैश्विक औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की आवश्यकता है. वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन की तेजी से बढ़ती सांद्रता के कारण पृथ्वी की वैश्विक सतह का तापमान 1850-1900 के औसत की तुलना में पहले ही लगभग 1.15 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है. वैश्विक स्तर पर 2023 174 साल के रिकॉर्ड में सबसे गर्म वर्ष था. वैश्विक औसत तापमान बेसलाइन( 1850-1900) से 1.45 डिग्री सेल्सियस ऊपर था.