लखनऊ, 01 मार्च। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ समस्या के स्थायी समाधान के लिए नदी की स्थानीय परिस्थितियों के अध्ययन के निर्देश दिए हैं। बाढ़ संबंधी परियोजनाओं की समीक्षा में मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां नदी के मेन स्ट्रीम में सिल्ट की अधिकता हो, नदी उथली हो, वहां ड्रेजिंग को प्राथमिकता दें औैर नदी को चैनलाइज कराएं। ड्रेजिंग से हल न निकले तो तब ही तटबंध या कटान निरोधी अन्य उपाय अपनाएं।
शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बाढ़ प्रबंधन और जन-जीवन की सुरक्षा के मद्देनज़र जारी तैयारियों की समीक्षा कर मुख्यमंत्री ने बाढ़ की दृष्टि से अतिसंवेदनशील, संवेदनशील जिलों, पूर्ण,लंबित परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति की भी समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बाढ़ के स्थायी निदान के लिए आठ वर्षों में किए गए सुनियोजित प्रयासों के अच्छे परिणाम हैं। बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील जिलों की संख्या में कमी आई है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार हमने आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग कर बाढ़ से खतरे को न्यूनतम करने में सफलता पाई है।
मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश
● परियोजनाओं का बाकी काम प्राथमिकता से पूरा कराएं। बजट पुनरीक्षण नहीं किया जाएगा।
● बाढ़ की दृष्टि से 24 जिले अति संवेदनशील हैं। यहां विभाग को अलर्ट मोड में रहना होगा।
● संवेदनशील तटबंधों का वरिष्ठ अफसर निरीक्षण करें। सतत निगरानी करें।
● सभी ड्रेन की सफाई 31 मार्च के पहले कराएं। बाढ़ राहत कंट्रोल रूप 24×7 एक्टिव रहें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से 24 जिले अति संवेदनशील श्रेणी में हैं। इसमें महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोंडा , बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अंबेडकर नगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी शामिल हैं। जबकि सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलंदशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज संवेदनशील प्रकृति के हैं। यहां विभाग को अलर्ट मोड में रहना होगा।