नई दिल्ली 25 मार्च। 1 अप्रैल 2025 से यूपीआई (UPI) ट्रांजैक्शंस में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) 1 अप्रैल से इनएक्टिव मोबाइल से लिंक्ड यूपीआई अकाउंट्स को बंद करने जा रहा है। ऐसे में यदि आपका कोई फोन नंबर जो बैंक अकाउंट से लिंक्ड है लेकिन लंबे समय से इनएक्टिव है तो उसे तुरंत एक्टिव करवा लें, नहीं तो आपको आगे समस्या हो सकती है। यूपीआई ऐसे नंबरों को भी हटाने जा रहा है जिन्हें बंद होने के बाद किसी दूसरे व्यक्ति को अलॉट कर दिया गया है। इस बदलाव का असर उन यूजर्स पर पड़ेगा, जिनके बैंक अकाउंट में कोई पुराना या बंद नंबर लिंक्ड है।
UPI की रेगुलेटरी संस्था नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने बैंको और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स को ऐसे मोबाइल नंबरों को डीलिंक करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, NPCI जल्द ही पुल ट्रांजैक्शन फीचर को भी बंद कर सकती है।
दरअसल, NCPI ने यह कदम साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए उठाया है। टेलीकॉम कंपनियां अक्सर इनएक्टिव या बंद हो चुके नंबरों को नए ग्राहकों को अलॉट कर देती है। ऐसे में उस नंबर से लिंक्ड पुराने बैंक अकाउंट में फ्रॉड होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी खतरे को ध्यान में रखते हुए NPCI ने बैंकों के साथ-साथ गूगल पे, फोन पे और पेटीएम समेत सभी यूपीआई एप्स को निर्देश दिया है कि वे हर हफ्ते इनएक्टिव मोबाइल नंबर की पहचान करें और उन्हें अपने सिस्टम से हटाएं। इसका मतलब यह है कि गर आपका मोबाइल नंबर लंबे समय तक इनएक्टिव रहता है तो उसे UPI से अपने आप हटा दिया जाएगा।
यूजर्स को UPI सर्विस बंद करने का अलर्ट मैसेज भेजा जाएगा। चेतावनी के बावजूद यदि मोबाइल नंबर इनएक्टिव ही रहता है, तो उसे UPI सिस्टम से हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
NPCI के मुताबिक UPI के जरिए होने वाले “पुल ट्रांजैक्शन” की वजह से भी धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में NPCI पेमेंट एप्स में पुल ट्रांजैक्शन फीचर की लिमिट तय करने या इसे हटाने की तैयारी कर रही है। हालांकि, इसे लेकर अभी किसी भी तरह की ऑफिशियल जानकारी सामने नहीं आई है कि इसे कब से और किस तरह से लागू किया जाएगा।
क्या है पुल ट्रांजैक्शन फीचर?
यह यूपीआई की कलेक्ट पेमेंट फीचर है जिसमें मर्चेंट कस्टमर से पेमेंट देने की डिमांड करता है। आसान भाषा में समझें तो, जब आप ऑनलाइन शापिंग करते समय पेमेंट के लिए अपनी पसंदीदा यूपीआई एप का ऑप्शन चुनते हैं, तो आप अपने आप उस यूपीआई एप में पहुंच जाते हैं जहां आपको पेमेंट का अमाउंट दिखता है और पिन डालकर उसे अप्रूव करना होता है। अप्रूव होते ही अमाउंट का रिकक्वेस्ट भेजने वाले के खाते में पैसे चले जाते हैं। यूपीआई की इसी सुविधा को “पुल पेमेंट” फीचर कहते हैं जिससे व्यापारी ग्राहकों से पेमेंट रिसीव कर पाते हैं। आम लोग इस फीचर का कुछ खास इस्तेमाल नहीं करते लेकिन बिजनेस में इसका खूब इस्तेमाल होता है। यूपीआई के इस फीचर का स्कैमर्स गलत इस्तेमाल कर रहें है और लोगों को पेमेंट रिक्वेस्ट भेजकर पैसों की ठगी कर रहे हैं।
पुल ट्रांजैक्शन की जगह “पुश ट्रांजैक्शन” को बढ़ावा देने की बात कही जा रही है। जब यूजर UPI के जरिए QR कोड स्कैन करके या सीधे मोबाइल नंबर डालकर अमाउंट ट्रांसफर करता है, तो उसे “पुश ट्रांजैक्शन” कहा जाता है। ऐसे ट्रांजैक्शन में ग्राहक खुद ही अपने UPI एप में भुगतान की जाने वाली राशि फीड करता है। इस तरह के ट्रांजैक्शन में फ्रॉड होने के खतरे कम होते हैं, क्योंकि इसमें यूजर को पता होता है कि वह राशि का भुगतान करने वाला है।