लखनऊ 20 जनवरी। अयोध्या में 22 जनवरी को श्री रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान हमले की बड़ी साजिश नाकाम की गई है। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) व अन्य सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता से गत दिवस अयोध्या में जो तीन संदिग्ध पकड़े गए वे प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान हमले की योजना के तहत भेजे गए थे।
खालिस्तान समर्थक संगठन ने राजस्थान के गैंगस्टर शंकर लाल दुसाद उर्फ शंकर जाजोद को यह जिम्मा सौंपा था। एटीएस ने पूछताछ के बाद शंकर व उसके साथी राजस्थान के ही अजीत कुमार शर्मा व प्रदीप पुनिया को गिरफ्तार किया है। प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू ने तीनों को अपने संगठन का सदस्य बताते हुए उनके समर्थन में एक ऑडियो भी जारी किया है, जिसे लेकर जांच तेज की गई है। सुरक्षा एजेंसियों ने अयोध्या में सतर्कता और बढ़ाने के साथ ही संदिग्धों की खोजबीन भी तेज की है।
डीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि सीकरी (राजस्थान) के जाजोद निवासी शंकर लाल के विरुद्ध वर्ष 2007 से 2014 के बीच हत्या, लूट, शराब तस्करी व अन्य संगीन धाराओं में सात मुकदमे दर्ज हैं। इनमें वर्ष 2011 में कांग्रेस युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष रामकृष्ण सिहाग की हत्या का मामला भी शामिल है।
शंकर लाल विदेश में रह रहे खालिस्तान समर्थक हरमिन्दर सिंह के निर्देश पर अयोध्या भेजा गया था। इस षड्यंत्र के पीछे मुख्य भूमिका गुरपतवंत सिंह पन्नू की थी, जिसने हरमिन्दर के माध्यम से शंकर लाल को अयोध्या जाकर आयोजन से जुड़ी तैयारियों का जायजा लेने व नक्शा भेजने का जिम्मा सौंपा था। इसके बाद हथियार भेजे जाने की तैयारी थी। तय योजना के तहत शंकर अपने दोनों साथियों को लेकर सफेद स्कार्पियो (एचआर 51 बीएक्स 3753) में श्रीराम का झंडा लगाकर बुधवार सुबह अयोध्या पहुंचा था। किसी को संदेह न हो, इसलिए वे माथे पर टीका भी लगाए थे और श्रद्धालु बनकर रेकी कर रहे थे।
तीनों के विरुद्ध एटीएस के लखनऊ स्थित थाने में धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है। शंकर के कब्जे से उसकी फोटो लगे दो अलग-अलग नाम के आधार कार्ड व राजस्थान निवासी धर्मवीर महाला के नाम-पते पर लिया गया सिम बरामद हुआ है। स्कार्पियो के पंजीकरण के दस्तावेज शंकर लाल के नाम हैं, जबकि वाहन पोर्टल पर गाड़ी का पंजीकरण फरीदाबाद निवासी श्रवण कुमार सरसवा के नाम है।