कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी का कहना है कि बापू की विरासत को सत्ता में बैठे लोगों से खतरा है। सोनिया जी कह रही है तो हम भला उसे क्यों काटे लेकिन बीते दिनों पटना के बापू सभागार में आयोजित पूर्व पीएम अटल बिहारी की जयंती के कार्यक्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रसिद्ध भजन ईश्वर अल्लाह तेरो नाम जब लोकगायिका देवी ने गाना शुरू किया तो कुछ लोगों द्वारा उसका विरोध किया गया। गायिका ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम जैसे विचार भारतीय संस्कृति का हिस्सा है तो किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए ।
लालू प्रसाद ने इसे लेकर भाजपा पर निशाना साधा तो भाजपा प्रवक्ता असित नाथ तिवारी का कहना है कि लालू जी के आरोप सही नहीं है। कार्यक्रम में काफी संख्या में लोग एकत्र थे। किस बात पर नाराज हुए इसकी जांच कराई जाएगी। बताते चलें कि कुछ वर्ष पूर्व लखनऊ निवासी एक दस साल की बच्ची द्वारा आरटीआई में यह जानकारी मांगी गई थी कि गांधी जी को राष्ट्रपिता का दर्जा किसने दिया तो आजादी के इतने साल बाद यह बात तो कह सकते हैं कि हमारे पूर्वजों ने आजादी में सांस लेने के लिए अपनी जान का बलिदान दिया उनके बारे में इस तरह की जानकारी या उनकी बातों का विरोध कुछ लोगों द्वारा किया जाता है वो नहीं होना चाहिए। बात करें भाजपा की तो आज तक ऐसा सुनने को नहीं मिला कि राष्ट्रपिता का विरोध बड़े नेताओ ंने किया हो।
मेरा मानना है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हो या बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर दीनदयाल उपाध्याय हो या अटल बिहारी ऐसे बड़े कद वाले महापुरूषों के बारे में अब इस प्रकार के की बातें किए जाना उचित नहीं कह सकते। मुझे लगता है कि भाजपा कांग्रेस सपा बसपा और अन्य दलों के नेताओं को अपने नेताओं को संदेश देना चाहिए कि जो लोग जनहित के लिए संघर्ष करते रहे उन्हें लेकर ऐसा विवाद ना खड़ा किया जाए जिसका संदेश गलत जाता हो। एक तरफ हम युवाओं को प्रोत्साहित करते है कि देश के लिए कुछ कर गुजरने वालों से कुछ प्रेरणा लें और कुछ लोगों की सनक से इस प्रकार की बातें हो इससे युवाओं में भ्रम पैदा होने का खतरा है ही उनमें यह सोच भी हो सकती है कि ऐसे लोगों के बारे में इस तरह की विवादित बातें हो रही है तो हम ही जनसेवा की क्यों सोचें। युवा पीढ़ी को राष्ट्र की एकता अखंडता और विकास के लिए काम करने हेतु यह जरूरी है कि हम उनके सामने अच्छे उदाहरण प्रस्तुत करें ना कि महापुरूषों की बातों और उनके संदेशों को आलोचना या चुनौतियां खड़ी की जाएं। क्योंकि इससे किसी का भला होने वाला नहीं है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
राष्ट्रहित में युवाओं को काम करने के लिए प्रेरित करने हेतु महापुरूषों को लेकर ना हो कोई विवाद
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