पार्कों में गंदगी फैलाने और कूड़ा डालने वालों पर अब नगर निगम 100 रूपये से लेकर दस हजार रूपये तक का जुर्माना लगाएगा। शहर में जल्द शुरू किया जाएगा इसे लेकर अभियान। इसके लिए उच्चाधिकारियों द्वारा सफाई निरीक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। वो जुर्माना लगाकर उसकी वसूली कर सकेंगे। अगर देखें तो अभियान बहुत सही है। लेकिन सफाई निरीक्षकों को इतना बड़ा जुर्माना वसूलने की जिम्मेदारी देना नागरिकों के अनुसार ठीक नहीं कह सकते। पार्कों की सफाई होनी चाहिए। निगम प्रशासन सख्ती भी करे लेकिन पार्कों के रखरखाव पर जो धन खर्च होता है और फिर भी वो खस्ताहाल में नजर आते हैं उसके लिए अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। हर मामले में नागरिकों का मानसिक व आर्थिक उत्पीड़न क्यों। नगरायुक्त जी किसी दिन सुबह शहर और गांव देहातों का निरीक्षण कीजिए तो आपको पता चल जाएगा कि कूड़ा डालने और गंदगी के लिए नागरिक ही नहीं आपका विभाग भी जिम्मेदार है क्योंकि कूड़ा भरकर ले जाने वाली गाड़ियों और खुली ना रहने के आदेशों के बाद भी उसे ना तिरपाल से ढका जाता है जिससे सड़क पर कूड़ा गिरता रहता है और बदबू आती रहती है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है यह भी तय होना चाहिए। पार्कों की सुध लेने के लिए आपका धन्यवाद लेकिन कंकरखेड़ा में सोफीपुर का या रूड़की रोड से लावड़ मार्ग का और परीक्षितगढ़ रोड का हाल बुरा होने लगा है। शहर से गांव जाने वाले हर रास्तों पर गंदगी का हाल बुरा है। प्रधानमंत्री जी ने वर्षों से सफाई अभियान चला रखा है। सीएम भी इस पर ध्यान दे रहे हैं इसके बावजूद गंदगी का साम्राज्य कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है जबकि बजट विभाग का हर साल बढ़ता जा रहा है लेकिन गंदगी कम नहीं हो रही है। इस मामले में आए दिन लापरवाही और फिजूलखर्ची और नागरिकों के अनुसार घोटाले की खबर सुनने को मिलती है। मेरठ के प्रभारी मंत्री इस बारे में कई बार नाराजगी जता चुके हैं। पार्षद भी इस पर चिंता जता रहे हैं लेकिन नगर निगम सफाई कराने में सफल नहीं है। इस मामले में सलाह या कूड़ा उठवाने में मदद लेने या स्मार्ट सिटी का सपना हमें दिखाने में कोई पीछे नजर नहीं आता है। महापौर जी चुनाव आगे भी होने है। आपके साथ पार्टी को भी वोट मांगने पड़ेंगंे अब अगर यह स्थिति रहेगी तो किस मुंह से पार्टी कार्यकर्ता आपके लिए वोट मांगगे। इसे ध्यान रखते हुए शहरवासियों का उत्पीड़न रोका जाए और निगम क्षेत्र में सफाई कराई जाए। मैंने जहां तक देखा है नगरायुक्त एक बार सोफीपुर जाएं तो पता चलेगा कि नागरिक किस नरक में रह रहे हैं। इसलिए नगरायुक्त को समझाइये कि उनके निवास के आसपास शहर नहीं बसता। गली मोहल्लों में भी लोग रहते हैं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
पार्कों पर कूड़ा डालने पर प्रतिबंध हो लेकिन दस हजार का जुर्माना क्यों, नगरायुक्त जी गंदगी तो आपका विभाग भी फैलाता है
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