Date: 10/10/2024, Time:

हर घर में आईएएस, आईपीएस व आईआरएस, जौनपुर के गांव माधोपट्टी को कहते हैं अफसरों की फैक्टरी

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वाराणसी 21 मई। जीनपुर मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर स्थित मोधापट्टी गांव को अफसर पैदा करने वाली फैक्टरी कहा जाता है। कहा भी क्यों न जाए, गांव में करीब 75 परिवार हैं। इनके बीच से 50 से अधिक आईएएस, आईपीएस और आईआरएस निकले और देश के अलग-अलग राज्यों में तैनात हैं

गांव में मिले प्रणव सिंह एक कहावत कहते हैं कि अदब से यहां सचमुच विराजती हैं वीणा वादिनी यानी मां सरस्वती का वास इस गांव में है। इसी तरह पीसीएस, पीपीएस, इंजीनियर, कई एमबीबीएस वैज्ञानिक भी हैं, जो अलग-अलग राज्यों में सेवाएं दे रहे हैं। इतने अफसर हैं कि ग्रामीणों को ही उनकी संख्या नहीं पता रहती है 16 मई को जौनपुर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी गांव का नाम लिया था और कहा था कि आपके पास तो सबसे अधिक आईएएस आईपीएस देने वाला गांव है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि सबसे अधिक अफसर आपके यहां का गांव दे रहा है। इससे ग्रामीण उत्साहित हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ने गांव का नाम लिया और उपलब्धि भी बताई। राजनीति से कोसों दूर गांव के लोग कहते हैं कि इसमें कोई दोराय नहीं है कि पिछले पांच वर्षों में बहुत विकास हुआ है। प्रणव सिंह कहते हैं कि पहले केंद्र और राज्य में अलग- अलग सरकारें होती थीं तो विकास रुकता था। अब दोनों जगह भाजपा की सरकार होने का लाभ मिला और खूब विकास हुआ। हालांकि यह भी कहते हैं कि अभी स्वास्थ्य और शिक्षा के के क्षेत्र में बहुत काम होना बाकी है।

वीरेंद्र कुमार सिंह, सुखदेव सिंह, प्रेमलाल सिंह, धीरीन सिंह, दुखहरन सिंह कहते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार के अलावा हमें खुद भी अपने स्तर से काम करना होगा। हम ऐसा कर सके तो जौनपुर में कई माधोपट्टी गांव होंगे। इस जिले से कई अफसर निकलेंगे और निकलने ही चाहिए। जिले में कहीं भी खड़े हो जाइए और कह दीजिए कि माधोपुर पट्टी गांव से हैं। सामने वाला खुद ही कहता है, अच्छा वो आईएएस वाला गांव।

1952 में गांव में बना पहला आईएएस 1952 में इस गांव से डॉ. इंदुप्रकाश पहले आईएएस बने और यूपीएससी में दूसरी रैंक हासिल को। 1964 में छत्रसाल सिंह ने आईएएस परीक्षा पास और तमिलनाडु के मुख्य सचिव बने। साल 1964 में ही अजय सिंह और 1968 में शशिकांत सिंह आईएएस बने।

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