Date: 21/12/2024, Time:

बिजली कर्मियों की मिली भगत से हो रही चोरी, इसीलिए करने जा रहे निजीकरण

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लखनऊ 19 दिसंबर। बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर सपा सदस्यों की ओर से बुधवार को विधान परिषद में उठाए गए सवालों के जवाब में ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि बिजली कर्मियों के रहमोकरम से ही बिजली की चोरी हो रही है। जेई व एई सब कुछ जानते हुए भी सांठगांठ के कारण चुप रहते हैं।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बिजली की संगठित चोरी हो रही है। ऐसे तमाम मोहल्ले हैं जहां इसकी जानकारी होने के बावजूद भी बिजली विभाग की टीम वहां जाने से घबराती है। ऐसे में मजबूरन निजीकरण की ओर कदम उठाने पड़ रहे हैं, क्योंकि वर्ष 2027 तक सभी को 24 घंटे बिजली देने का लक्ष्य पूरा किया जाना है।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि संभल में बीते दिनों 112 लोगों के खिलाफ बिजली चोरी के आरोप में एफआईआर की गई। कई मस्जिदों में चार किलोवाट से लेकर 11 किलोवाट तक की बिजली चोरी पकड़ी गई। वहीं मदरसों में भी बिजली चोरी पकड़ी गई।

विद्युत चोरी व लाइन हानियों के कारण ही अभी सरकार को 47 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी देनी पड़ रही है। अगर ऐसा ही चला तो तीन-चार साल बाद यह सब्सिडी बढ़ाकर 90 हजार करोड़ रुपये करनी होगी।

शर्मा ने कहा कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को निजी कंपनियों के हाथों में दिए जाने के प्रस्ताव का बेवजह विरोध किया जा रहा है, जबकि इसकी शुरुआत नोएडा से वर्ष 1993 में हुई थी। उस समय केंद्र में कांग्रेस सरकार और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव व वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने निजीकरण को बढ़ावा दिया था। नोएडा पावर कंपनी दूसरों से 10 प्रतिशत सस्ती बिजली अपने उपभोक्ताओं को दे रही है।

मंत्री ने कहा कि बसपा सरकार में वर्ष 2010 में आगरा में टोरेंट पावर कंपनी को काम दिया गया। अब आगरा के आसपास के जिलों के लोग भी इसी व्यवस्था में शामिल होने की मांग कर रहे हैं। टेलीकॉम सेक्टर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि निजी कंपनियों के हाथ में व्यवस्था देने से उपभोक्ताओं को लाभ ही लाभ हुआ। एयरपोर्ट इत्यादि में निजी निवेश को बढ़ावा दिया गया आखिर कौन इसे उठाकर ले गया। यह सब गलत आरोप हैं।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार बिजली व्यवस्था में सुधार कर रही है। वर्ष 2017 तक बिजली की मांग 17 हजार मेगावाट थी और अब यह बढ़कर 30,600 मेगावाट हो गई है। वर्ष 2017 तक डेढ़ करोड़ और अब तीन करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं। विद्युत विहीन 1.21 लाख मजरों में बिजली पहुंचाई गई और अभी 12 हजार मजरों में इसे पहुंचाने का काम चल रहा है। लगातार सुधार किए जा रहे हैं।

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