asd पुलिस कस्टडी में तड़प-तड़प कर युवक ने तोड़ा था दम, SHO समेत 6 पुलिसवाले सस्पेंड

पुलिस कस्टडी में तड़प-तड़प कर युवक ने तोड़ा था दम, SHO समेत 6 पुलिसवाले सस्पेंड

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पटना 29 जुलाई। बिहार की राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ थाना में कस्टडी में युवक की मौत मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। थाने के थानेदार, केस के SHO समेत 6 सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया गया है। राज्य मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर DIG पटना ने यह कार्रवाई की। मामला 31 मार्च 2024 का है और मृतक का नाम जितेश था, जिसे एक किडनैपिंग केस में हिरासत में लेकर पुलिस सख्ती से पूछताछ की थी, लेकिन पुलिस ने थर्ड डिग्री टॉर्चर का इस्तेमाल किया, जिससे जितेश की मौत हो गई थी।

इंसाफ के लिए मृतक जितेश के परिजन राज्य मानवाधिकार आयोग पहुंचे। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एएम बदर ने 20 जून 2024 को फैसला सुनाया और जितेश की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। आयोग ने दोषियों से 15.74 लाख वसूल कर मृतक जितेश के परिजनों को देने का भी आदेश दिया है। वहीं ASP के खिलाफ कार्रवाई करने की बात पर कहा गया कि CID की जांच पूरी होने के बाद एक्शन लिया जाएगा। ASP भी आरोपी हैं, क्योंकि उनके ऑफिस में जितेश को टॉर्चर किया गया था। मामले में फाइनल फैसला आना बाकी है।

पटना के SSP राजीव मिश्रा ने मसूद हैदरी को फुलवारी थाने का नया थानेदार बनाया है। सस्पेंड किए गए कर्मियों के नाम थानाध्यक्ष सफीर आलम, केस के जांच अधिकारी SI रोहित कुमार रंजन, SI फिरोज अंसारी, सिपाही अर्जुन कुमार झा, मोहम्मद जाहिद आलम और मुकेश कुमार राय हैं। SSP राजीव मिश्रा ने बताया कि 31 मार्च 2024 की रात को पटना के राजीव नगर थाना क्षेत्र के नेपाली नगर में रहने वाले जितेश पर उसके मामा सुरेंद्र सिंह के बेटे सुशील कुमार को किडनैप करने का आरोप लगा।

खुद सुरेंद्र सिंह ने 7 जनवरी 2024 को शिकायत देकर जितेश और उसके 2 दोस्तों राहुल और मुकेश पर किडनैपिंग का शक जताया था। जितेश को पुलिस ने 7 जनवरी को ही थाने बुलाया और पूछताछ करके छोड़ दिया। इसके बाद 31 मार्च की रात को फुलवारी थाना पुलिस जितेश और उसके दोस्त मुकेश को बांस घाट से पकड़ कर ले गई। राहुल को पुलिस पहले ही पकड़ चुकी थी, लेकिन जितेश-मुकेश को 31 मार्च की रात को पूछताछ करते हुए इतना पीटा गया कि जितेश की मौत हो गई।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुकेश को अलग कमरे में रखा गया था और उसने जितेश के चीखने चिल्लाने की आवाजें सुनी थीं। पुलिस को दिए बयान में उसने बताया कि पुलिस वाले उसे बुरी तरह पीट रहे थे। 3 से 4 घंटे खूब पीटा और जब वह बेहोश हो गया तो उसे संभालने के लिए बुलाया। मुकेश ने बताया कि जितेश की हालत देखकर वह डर गया था। उसके शरीर पर एक कपड़ नहीं था और उसे उल्टियां भी लगी थी। उसने जितेश को उठाकर कपड़े पहनाए।

उसकी चोटों पर दवाई लगाकर सिकाई कराई। डॉक्टर को बुलाकर इंजेक्शन लगवाए और दवाई भी दिलाई, लेकिन वह होश में नहीं आया। हालत बिगड़ती देख पुलिस वाले डर गए और वे उसे फुलवारी के ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने उसे रेपुर कर दिया। पुलिस जितेश को AIIMS ले गई, जहां डॉक्टरों ने जितेश को मृत घोषित कर दिया। पुलिस वाले उसे और जितेश की डेड बॉडी को सड़क पर लावारिस हालत में छोड़कर फरार हो गए।

वहीं सुशील के पिता ने अपहरण का आरोप जीतेश पर हीं लगाया है
इस मामले में बरहमपुर निवासी और रेलकर्मी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी इकलौती बहन राम जानकी देवी की शादी श्री राम सिंह से हुई है जो नेपाली नगर में रहते हैं. उनका भगिना जितेश कुमार फोन करके उनका बेटा सुशील कुमार ऊर्फ चिंटू को बुला कर ले जाता था.
सुरेंद्र सिंह का कहना है कि 6 तारीख को भी उनका भगना जितेश कुमार के बुलाने पर ही उनका बेटा गया था जिसके बाद उसका कोई अता पता नहीं चला. उन्होंने आशंका जताई है कि जितेश कुमार और अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर उनका बेटा सुशील ऊर्फ चिंटू की हत्या का लाश को कहीं खपा दिया है.

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