प्रयागराज 19 मई। संभल शाही जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को जोर का झटका लगा है. सोमवार को कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट के फैसले के बाद अब संभल जामा मस्जिद के सर्वे का रास्ता साफ हो गया है.
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने इस मामले में आदेश सुनाया है. कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की पुनरीक्षण याचिका (रिवीजन) खारिज करते हुए अंतरिम आदेश विखंडित कर दिया है. इससे सर्वे तथा अगली अदालती कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है.
संभल जामा मस्जिद कमेटी ने ट्रायल कोर्ट के नवंबर 2024 के उस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी जिसमें एडवोकेट कमिश्नर को मस्जिद का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था. यह मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) से संरक्षित है.
सर्वेक्षण के खिलाफ मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट गई थी जिसने हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का निर्देश दिया था. ट्रायल कोर्ट के आदेश से संभल में नवंबर 2024 में हुए सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क गई थी, जिसमें चार लोग मारे गए थे.
संभल जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी की पुनरीक्षण याचिका में संभल जिला न्यायालय में लंबित मूल वाद की आगे की अदालती कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी. हिंदू पक्ष के वादी ने यह घोषणा करने की मांग की है कि उन्हें संभल जिले के मोहल्ला कोट पूर्वी में स्थित श्री हरिहर मंदिर में प्रवेश का अधिकार है, जो कथित तौर पर जामा मस्जिद है.
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने गत 13 मई को सुनवाई पूरी होने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया था. हरि शंकर जैन व सात अन्य ने सिविल जज सीनियर डिवीजन संभल की अदालत में एक मुकदमा किया है, जिसमें कहा गया है कि संभल के कोट पूर्वी स्थित जामा मस्जिद मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी. दीवानी अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एएसआई को एडवोकेट कमिश्नर के साथ सर्वे का निर्देश दिया था.
मुकदमे की पोषणीयता पर भी सवाल उठाया था. हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश में संभल की दीवानी अदालत के समक्ष लंबित मूल मुकदमे की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. पुनरीक्षण याचिका में कहा गया था कि मुकदमा 19 नवंबर 2024 की दोपहर दाखिल किया गया था और कुछ ही घंटों के भीतर अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया.
साथ ही उसे मस्जिद में प्रारंभिक सर्वेक्षण का निर्देश दिया, जो उसी दिन यानी 19 नवंबर को और फिर 24 नवंबर 2024 को किया गया था. अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि सर्वेक्षण की रिपोर्ट 29 नवंबर तक दाखिल की जाए. दीवानी अदालत ने 19 नवंबर को ही हिंदू पक्ष के इस तर्क को स्वीकार कर लिया कि मस्जिद मुगल सम्राट बाबर द्वारा 1526 में संभल में हरिहर मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी.
संभल की शाही जामा मस्जिद के हिन्दू पक्ष के वकील श्रीगोपाल शर्मा ने बताया कि यह तो होना ही था. हम हाईकोर्ट के इस निर्णय का स्वागत करते हैं. संभल की सिविल जज सीनियर डिविजन द्वारा जो सर्वे का आदेश दिया गया था वो कानून के अंतर्गत उचित था. इससे यह बात साबित हो गई है.
मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाता है तो वहां भी हम लड़ेंगे. मुस्लिम पक्ष अब इस मुकदमे को लिंगारान करना चाहता है. क्योंकि उसने अभी तक इस मामले में न्यायालय में अपना कोई भी जवाब दाखिल नहीं किया है.