ऋषिकेश 23 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच रेल का सफर करने के लिए लोगों को अभी करीब दो साल का इंतजार और करना पड़ेगा. रेल विकास निगम लिमिटेड ने पहाड़ पर ट्रेन चढ़ाने की डेडलाइन को बढ़ा दिया है. इसकी वजह पहाड़ों की भौगोलिक परिस्थिति को बताया गया है.
85 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का काम पूरा: रेल विकास निगम लिमिटेड के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर अजीत यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन के बारे में कई अहम जानकारियां दी. उन्होंने बताया कि 104 किलोमीटर लंबी रेल परियोजना में 85 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का काम पूरा कर लिया गया है. इस हिसाब से 86% का काम अब तक रेल विकास निगम ने किया है.
इसके अलावा 28 ब्रेकथ्रू टनल में किए गए हैं. कुल 40 टनल ब्रेकथ्रू होने हैं. 10 टनलों के ब्रेकथ्रू मार्च 2025 तक होने की उम्मीद है. बाकी के दो ब्रेकथ्रू दिसंबर 25 तक होंगे. जबकि, मार्च 2026 तक 213 किलोमीटर की रेलवे लाइन बिछाने का पूरा काम कर लिया जाएगा. दिसंबर 2026 या जनवरी 2027 से लोगों को ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक जाने की रेल सुविधा मिलनी शुरू होगी.
अजीत कुमार यादव ने कहा कि टनल खुदाई में कुल 213 किमी. में से 184 किमी. खुदाई कार्य पूरा हो चुका है, इसमें 89 किमी. मुख्य टनल, 97.7 किमी. एस्केप टनल, 4.8 किमी. एडिट व क्रास पैसेज 7 किमी. शामिल हैं।
टनल खुदाई में कई स्थानों पर मिट्टी मिल रही है, इस कारण खुदाई कार्य धीमी गति से हो रहा है। जबकि जहां बड़े पत्थर व ठोस क्षेत्र है वहां खुदाई तेजी से की जा रही है। कहा कि कोविडकाल के चलते प्रगति में थोड़ा विलंब हुआ है, लेकिन पिछले कुछ समय से प्रगति कार्य में तेजी आई है। दिसंबर 2026 तक कर्णप्रयाग तक रेल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
सीपीएम यादव ने बताया कि परियोजना के अंतर्गत 19 रेलवे पुल बनने हैं, जिनमें पांच बड़े पुल बनकर तैयार हो चुके हैं। शेष 13 पुलों को इसी वर्ष पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। बताया कि गौचर पुल के निर्माण में सबसे ज्यादा चुनौती आ रही हैं। इस पुल को बनने में थोड़ा समय लगेगा। वार्ता में आरवीएनएल उप महाप्रबंधक सिविल ओपी मालगुड़ी व कई अन्य उपस्थित रहे।
मुआवजे में 12 करोड़ का भुगतान किया
सीपीएम यादव ने कहा कि सुरंग खोदाई के दौरान कई घरों में दरारें देखने को मिली हैं। ऐसे प्रभावित परिवारों के चिह्निकरण के लिए जिलेवार समितियों का गठन किया गया। कुल 628 शिकायतें मिलीं, जिनका निस्तारण कर दिया गया है। इन परिवारों को मुआवजे के रूप में कुल 12 करोड़ की राशि ट्रांसफर की जा चुकी है।