Date: 28/12/2024, Time:

दो दिन त्यौहार मनाने की परंपरा सही नहीं, विद्वान एक मत होकर घोषित करे तिथियां

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वार्षिक डायरी सहित सरकार द्वारा भी दीपावली 1 नवंबर को मनाये जाने की घोषणा की गई थी। लेकिन इस बार 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को दीपावली मनाई गई। धनतेरस भी कुल मिलाकर दो दिन मनाये जाने की खबरें सुनने को मिली तो हर वर्ष दीपावली से अगले दिन होने वाली गोवर्धन पूजा भी इस वर्ष 1 और 2 नवंबर को हुई। 1 नवंबर को मथुरा के पुष्टि मार्गीय संप्रदाय के ठाकुर श्री द्वारिकाधीश मंदिर में गत शुक्रवार को विधि विधान से अन्नकूट गोवर्धन मनाया गया। और इस मौके पर छप्पन भोग भी लगाये गये। तो कई मंदिरों में आज 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा हुई। कहने का मतलब है कि जिसने 31 अक्टूबर को दिवाली मनाई उसने 1 नवंबर को और जिसने 1 नवंबर को मनाई उसने 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा की और छप्पन भोग लगाये। इस वर्ष अगर कुल मिलाकर देखे तो भईया दूज ही 3 नवंबर को होगी।
सवाल यह उठता है कि जब यह त्योहार विधि पत्रे के अनुसार हिन्दू दिवस पर तय किये जाते है तो फिर आगे चलकर त्यौहारों की तिथियों को लेकर विवाद क्यों उत्पन्न होता है। यह विषय इस वर्ष जागरूक नागरिकों में विशेष चर्चा का रहा। कुछ धार्मिक विद्वानों मंदिरों के संचालकों व पुजारियों की राय से हम भी सहमत है कि हिन्दू नववर्ष से पूर्व अगर मथुरा वृंदावन वाराणसी अयोध्या प्रयागराज आदि के सब विद्वान आपस में मिलकर और विचार विमर्श कर जिसके लिए अब कहीं जाने आने की भी अव्यवस्था नहीं है क्योंकि व्हाट्सअप फेसबुक ईमेल आदि पर मैसेज का आदान प्रदान कर सब कुछ तय किया जा सकता है। वो करके पूर्ण सहमति के आधार पर अगर तय किया जाए तो जो त्यौहार दो दिन मनाये जाते है वो एक दिन मनाये जाने लगेंगे और इसको लेकर जो व्यवस्थाऐं की जाती है उसमें भी आसानी होंगी। और वर्तमान में आम आदमी के पास जो कीमती समय है वो भी बचेगा इसलिए मुझे लगता है कि गंगा स्नान होली दिवाली दशहरा और इनके आसपास होने वाले अन्य त्यौहार की तिथियों की घोषणा गहन जांच और विचार विमर्श के बाद ही हो तो वो सब तरह से अच्छा है। और त्यौहारों को मान्यता देने वाले भक्तों के लिए भी शुभ कह सकते है। तो एक दिन त्यौहार मनाने का महत्व तथा परंपरा भी बनी रहेगी।
(प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी)

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