प्रदेश में होने वाले अवैध निर्माणों और कट रही कच्ची कॉलोनियों तथा सरकारी जमीन हरित पटटी व रोड बाइडनिंग की जमीन घेरकर बेचने वालों अथवा आदमी की व्यक्तिगत समस्याएं जो समाधान नहीं हो रही आसानी से बिना खर्च किए समाधान निकलवाने के लिए बनाए गए मुख्यमंत्री जनशिकायत पोर्टल आईजीआरएस पर हुई शिकायतों की गलत सूचना देकर यह कहते हुए कि निर्माण मानचित्र के अनुकूल हुआ है। अवैध निर्माण आदि को बढ़ावा दे रहे प्राधिकरण आवास विकास के अवैध निर्माण से संबंध अधिकारियों की अब शामत आ गई लगती है क्योंकि सीएम तो पहले से ही अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त रूख अपनाएं हुए हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कहीं से आवाज ना उठने के चलते उपर दिए गए बिंदुओं से संबंध कार्य बढ़ते जा रहे हैं। भले ही ही इस दौरान सरकार की नीति व मुख्यमंत्री की भावनाओं का उल्लंघन हो रहा हो लेकिन अवैध निर्माण और कच्ची कॉलोनियां जानकारों के अनुसार प्राधिकरण और आवास विकास के अधिकारियों का बैंक बैलेंस बढ़ाने और व्यक्तिगत सुविधाएं जुटाने का माध्यम बनकर रह गई है। लेकिन विधान परिषद में भाजपा एमएलसी दिनेश गोयल तथा विजय बहादुर पाठक द्वारा यह मुददा जोरदार तरीके से उठाया गया और अवैध निर्माणों के लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई। एक खबर के अनुसार प्रदेश में अवैध निर्माणों को ध्वस्त कराए जाने का मुद्दा गत सोमवार को विधान परिषद में उठा। भाजपा सदस्य विजय बहादुर पाठक व दिनेश कुमार गोयल ने अवैध निर्माण ध्वस्त न कराए जाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की। भाजपा सदस्यों की ओर से दी गई सूचना में कहा गया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े रुख के बावजूद प्रदेश में अवैध निर्माण निरंतर होने की जानकारी मिल रही है। अधिकारियों की लापरवाही से अवैध निर्माण के मामलों में कार्रवाई नहीं हो पा रही है। विकास प्राधिकरणों की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 13 वर्षों में प्रमुख शहरों में 1.75 लाख से अधिक अवैध निर्माण हुए। विकास प्राधिकरणों व आवास विकास परिषद के अभियंताओं व बिल्डर के आपसी गठजोड़ से अवैध भवन खड़े किए जाते रहे। पूर्ववर्ती सरकारों के लचर रवैये के चलते प्रदेश में बड़ी संख्या में अवैध अपार्टमेंट बनकर खड़े हो गए। भाजपा सरकार की सख्ती के बाद प्रदेश में 83,998 अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद के स्तर जारी किए गए। इनमें 11,677 अवैध निर्माण ही ध्वस्त किए गए। 72 हजार से अधिक के विरुद्ध कार्रवाई शेष है। लखनऊ में 15,000 से अधिक अवैध निर्माण पाए गए।
मेरा मानना है कि अब अवैध निर्माण रोकने से संबंध किसी भी स्तर का अधिकारी कितना होशियार क्यों ना हो अपनी जेब भारी करने के लिए मानचित्र के अनुसार बनाए गए निर्माण कहकर बच नहीं पाएगा। कुछ लोगों के इस कथन से मैं भी सहमत हूं कि मुख्यमंत्री के जनशिकायत पोर्टल पर शिकायतों का फर्जी निस्तारण करने और अवैध निर्माणों को बचाने में सक्रिय अधिकारी चाहे किसी भी स्तर का हो जनहित में तथा सरकार की निर्माण नीति का पालन कराने हेतु इनकी सेवाएं समय से पूर्व समाप्त की जाए।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मानचित्र पास बताकर अवैध निर्माणकर्ताओं को बचाने वालों की सेवाएं हों समाप्त, विधान परिषद में उठा अवैध निर्माणों का मुददा, दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की हुई मांग
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