लखनऊ 12 सितंबर। केंद्र सरकार ने नमकीन पर जीएसटी 18 फीसदी से घटकर 12 फीसदी कर दिया है। इसका बड़ा फायदा उत्तर प्रदेश के एमएसएमई सेक्टर को मिलेगा। यहां फूड प्रोसेसिंग और नमकीन इंडस्ट्री का बड़ा गढ़ है। लखनऊ, कानपुर, नोएडा, आगरा, कानपुर देहात, मेरठ, फर्रुखाबाद, अलीगढ़, हाथरस सहित 35 जिलों में कम से कम 400 नई इकाइयां लगेंगी और कम से कम 3000 करोड़ रुपये का निवेश होगा।
अभी तक नमकीन पर जीएसटी की दो दरें 12 और 18 फीसदी थीं। बाजार में बिकने वाले नमकीन में बड़ा हिस्सा ऐसे उत्पादों का है, जिनका कच्चा माल आकार में छोटा होता है, लेकिन फ्राई होने के बाद बड़ा हो जाता है। इन्हें नमकीन न मानकर 18 फीसदी जीएसटी वसूला जा रहा था। अब इसे भी 12 फीसदी के स्लैब में कर दिया गया है।
प्रदेश के लगभग हर जिले में इस श्रेणी के नमकीन के कम से कम 5 से 10 लोकल ब्रांड हैं। 18 फीसदी जीएसटी की वजह से 2000 छोटे उद्यमी या तो इस उद्योग में आने से डर रहे थे या पंजीकरण नहीं करा रहे थे। अब 12 फीसदी की एकरूपता आने के बाद यूपी के बाजार में 1000 से ज्यादा छोटे-बड़े ब्रांड उभरेंगे।
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल ने बताया कि यूपी में नमकीन इंडस्ट्री भी ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) की तरह हैं। यूपी के लगभग हर जिले में नमकीन की अलग पहचान है। आईआईए ने नमकीन पर 12 और 18 फीसदी जीएसटी दरों का मुद्दा जीएसटी काउंसिल के अतिरिक्त सचिव पंकज कुमार के समक्ष उठाया था। उन्हें बताया गया कि 12 फीसदी जीएसटी लेने वाले उद्यमियों को 18 फीसदी जीएसटी का नोटिस देकर करोड़ों की बकायेदारी निकाल दी है। इस वजह से पुराने उद्यमियों के साथ-साथ इस सेक्टर में आने वाले नए उद्यमियों की हालत भी खराब हो गई है। इस पर विचार करने के बाद सभी तरह की नमकीन को 12 फीसदी के स्लैब में रख दिया गया। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा फायदा सूक्ष्म और लघु उद्यमियों को मिलेगा। वर्तमान में प्रदेश में संगठित नमकीन इंडस्ट्री करीब 4000 करोड़ रुपये की है। नमकीन उद्योग की सालाना ग्रोथ 15 फीसदी से ज्यादा है। अकेले यूपी में 25 करोड़ में 15 करोड़ लोग नमकीन के उपभोक्ता हैं।