Date: 24/12/2024, Time:

बैंककर्मियों को भी बिना ब्याज लोन की व्यवस्था हो समाप्त, बंद हुई रेल अधिकारियों की मुफ्त यात्रा देना होगा किराया

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रेलवे विभाग द्वारा अपने कुछ अफसरों की मुफ्त रेलयात्रा समाप्त कर बीती दस मई को रेलवे बोर्ड ने सभी रेलवे जोन महाप्रबंधकों को यह निर्देश जारी कर दिए हैं कि अब रेल अफसर भी किराया देंगे मुफ्त यात्रा नहीं कर पाएंगे। मुझे लगता है कि इससे सरकार की आर्थिक स्थिति में मजबूती आएगी लेकिन अगर वित्त मंत्रालय भी अपने बैंक कर्मियों को जो बिना ब्याज या कम ब्याज पर ऋण देता है वो व्यवस्था समाप्त कर दे तो आम आदमी को कई प्रकार के टैक्सों से छुटकारा तो मिल ही सकता है भविष्य की भी अच्छी संभावनाएं हो सकती है। अभी पिछले दिनों बैंक कर्मियों को मिलने वाले ऋण लाभ पर टैक्स लगाने का फैसला हुआ। जो बहुत ही अच्छा था। क्योंकि अगर बैंक में कोई नौकरी करता है तो उसे बिना या कम ब्याज पर लोन की सुविधा मिलती है तो अन्य विभाग के लोग भी यह मांग कर सकते हैं कि हमारे विभागों में हमसे संबंध सुविधाएं मिलनी चाहिए। और अगर पुलिसवाले यह मांग करने लगे कि हिरासत में अगर किसी की मौत होती है तो उन पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए क्योंकि वह विभाग के आदमी है तो ऐसा तो संभव है नहीं तो फिर बैंकों में जमा पैसा जनता का उसके रखरखाव और कई प्रकार के शुल्क खातेदारों से वसूले जाते हैं और उसी पैसे की आमदनी से बैंक कर्मियों को वेतन मिलता है वो तो ठीक है लेकिन एसी में बैठकर काम करने का मतलब यह कैसे हो गया कि खाताधारक लोन ले तो उसे ब्याज देना होगा और आम आदमी के पैसे पर बैंक वालों को बिना ब्याज या कम पर लोन मिले यह कहीं का तुक नहीं है। इसलिए मेरा मानना है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और रिजर्व बैंक के अफसरों को अब यह मुफत की रेवड़ियां अपने अधिकारियों कर्मचारियों को बांटनी बंद करनी चाहिए क्योंक यह किसी से छिपा नहीं है कि बैंककर्मियों से ज्यादा हर विभाग का कर्मचारी व अधिकारी काम करता है। नागरिक तो 24 में से 16 घंटे काम करते हैं। ऐसे मंे ऋण मामले में दोहरी नीति अपनाना किसी मामले में सही नहीं कह सकते। सरकार जनहित में और अपने खर्चों को कम करने और नागरिकों पर टैक्स की संभावना को कमजोर करने हेतु बैंक कर्मियों को बिना ब्याज का लोन देने की व्यवस्था बंद होनी चाहिए। जिस ब्याज पर खातेधारकों को बैंक पैसे देता है उसी पर अपने कर्मचारियों को भी दें। अपने देश में नियम कानून सबके लिए एक हैं तो कुछ लोगों के लिए दोहरी नीति क्यों।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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