देश की सबसे प्रतिष्ठित और सर्वमान्य प्रशासनिक सेवा आईएएस से जुड़े कुछ लोगांे की कार्यप्रणाली से अब कई सवाल उठने लगे हैं। एक जमाना था जब किसी आईएएस अधिकारी ने कुछ लिख दिया या कह दिया तो ज्यादातर मामलों में नागरिक भी उसको मानते थे और लिखा हुआ कटना बहुत कठिन हो जाता था। लेकिन जिस तरीके से आजकल आए दिन इस सेवा के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार मनमानी और लापरवाही के आरोप लग रहे हैं तथा सेवानिवृति के बाद भी हो रही है कार्रवाई उसने इसकी गरिमा में कमी आ सकती है।
मैं यह तो नहीं कह सकता कि इस सेवा के सभी अधिकारियों की बात का वजन कम हुआ हो लेकिन अब इनके आदेशों के खिलाफ ज्यादातर मामलों में आवाज उठाई जाने लगी है और क्योंकि बड़ी संख्या में आवाज बुलंद करने वालों को न्याय भी मिलता है इसलिए यह व्यवस्था और बढ़ रही है। एक समय था जब डिजार्ज जोजेफ विजय शर्मा संजय अग्रवाल जैसे आईएएस अफसर होते थे जो वो कहते थे नागरिक उस पर विश्वास करते थे क्योंकि यह जनसमस्या का समाधान भी उसी शिददत से करते थे जैसे अपनी बात औरों को समझाते थे। वर्तमान में भी ऐसे अफसरों की कमी नहीं है। कुछ दिन पहले लोकसभा चुनाव परिणामों को लेकर मेरठ में हुई बैठक मंे महापौर हरिकातं अहलूवालिया ने कहा था कि डीएम दीपक मीणा तो काम करते हैं मगर बाकी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है। यह इस बात का प्रतीक है कि इस प्रशासनिक अफसरों की बात में जो दम है वो बना रहे इसके लिए आईएएस एसोसिएशन को राष्ट्रीय स्तर पर कुछ नियम अपने सदस्य अधिकारियेां के लिए बनाने होंगे जिससे राजस्व परिषद से हटाए गए आईएएस देवीशरण उपाध्याय के निलंबित होने तथा पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा के खिलाफ कोर्ट में चल रही कार्रवाई के अतिरिक्त इस सेवा मेें आने हेतु जो फर्जी या गलत सर्टिफिकेट लगाए जाते हैं उनके दम पर कोई भी डीएम या कमिश्नर ना बन पाए। बताते चलें कि सरकारी सेवा से इस्तीफा देकर फिल्मी दुनिया में पर्दापण करने वाले अभिषेक सिंह के बारे में एक खबर पढ़ने को मिली कि उन्हें अपनी सेवा में बहाल होने के लिए कोशिश कर रहे हैं लेकिन विकलांग कोटे से सेलेक्शन लेने वाले पूर्व आईएएस का एक फोटो जिम में मस्ती के साथ डांस करते हुए दिखाई दे रहा है तो दूसरी ओर लालबत्ती लगाकर गाड़ी में घूमने और लोगों पर रौब जमाने वाली ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खंडेकर ने खानाबदोश जनजाति की श्रेणी के माध्यम से आईएएस में आईं पूजा को राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में तलब किया गया है और उनकी ट्रेनिंग पर भी रोक लगा दी गई है। तथा बताया जा रहा है कि अब पुलिस द्वारा की जाएगी उनके प्रमाण पत्रों की जांच। इस बारे में मेरा मानना है कि केंद्र और प्रदेश की सरकारों को भी ऐसे सख्त नियम और व्यवस्थाएं करनी चाहिए कि कुछ प्रशिक्षु या आईएएस अफसरों की वजह से इस सेवा के अधिकारियों की विश्वसनीयता और गरिमा दोनों बनी रहे। क्योंकि अगर ध्यान से सोचें तो सरकार तो आती जाती रहती है मुख्य व्यवस्था तो आईएएस अधिकारी ही संभालते हैं को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय एकता और विश्वसनीयता बनाए रखने हेतु इस बारे में विशेष तौर पर होनी चाहिए कार्रवाई। इसके नियमों से खिलवाड़ करने वालों को सजा दी जाए।
साथ ही यह भी देखा जाए कि इतनी महत्वपूर्ण प्रशासनिक सेवा आईएएस में प्रवेश लेते समय जो पत्रावली अधिकारियों द्वारा लगाई गई होगी उसकी जांच ढंग से क्यों नहीं की गई तथा भविष्य में सभी परीक्षाओं की पत्रावलियों को ध्यान से देखा जाए चाहे वह टीचर के लिए हो या आईएएस के लिए। यह वक्त की सबसे बड़ी मांग बनती जा रही है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
प्रतिष्ठित प्रशासनिक सेवा का अपना अलग सम्मान है! पूजा खंडेकर व अभिषेक सिंह देवीशरण उपाध्याय और अनिल टुटेजा जैसों के कारण आईएएस की कार्यप्रणाली पर सवाल ना उठे सरकार करें प्रयास
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